ल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट में “ज़मीन के बदले नौकरी” (Land for Job Case) मामले की सुनवाई मंगलवार को एक बार फिर बिना निष्कर्ष के टल गई। कोर्ट ने आज आरोप तय करने पर आदेश सुनाना था, लेकिन सुनवाई के दौरान यह साफ हुआ कि CBI को पहले सभी आरोपियों का अद्यतन स्टेटस उपलब्ध कराना होगा। अदालत ने यह निर्देश इसलिए दिया क्योंकि 103 आरोपियों में से कई की मौत हो चुकी है। अब CBI को 8 दिसंबर तक पूरी जानकारी अदालत में पेश करनी है और अगली सुनवाई भी इसी तारीख को निर्धारित की गई है।
इस बहुचर्चित मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम राबड़ी देवी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, मीसा भारती, हेमा यादव, तेजप्रताप यादव सहित 103 लोगों के नाम शामिल हैं। CBI का आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 के बीच कथित रूप से ग़ैरकानूनी नियुक्तियाँ कराईं और बदले में उनके परिवार से जुड़े लोगों के नाम पर जमीनें रजिस्ट्री कराई गईं। CBI की चार्जशीट के मुताबिक, जमीन की खरीद में ज्यादातर लेन-देन कैश में किए गए और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ।
सीबीआई ने इस केस में IPC की धारा 120B, 420, 467, 468, 471 तथा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की कई धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है। एजेंसी ने बताया था कि 103 आरोपियों में से चार की मौत हो चुकी है, जिसके बाद कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह आगे तभी बढ़ेगी जब CBI सभी अभियुक्तों की स्थिति का आधिकारिक विवरण पेश करेगी।
इस बीच, राबड़ी देवी ने मामले को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करने की मांग भी की थी। इससे पहले भी 10 नवंबर को इसी मामले में सुनवाई टाल दी गई थी, और अब 8 दिसंबर अगली महत्वपूर्ण तारीख होगी, जब यह साफ होगा कि आरोप तय होंगे या मामला एक बार फिर आगे बढ़ेगा। राजनीतिक तौर पर संवेदनशील इस केस पर देशभर की निगाहें टिकी हैं क्योंकि यह सीधे तौर पर रेल मंत्रालय में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से जुड़ा है।





















