RANCHI : राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव धर्म परिवर्तन मामले में सीबीआई कोर्ट में आज सुनवाई हुयी। मामले के मुख्य आरोपी रंजित कोहली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, वहीं हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार मुश्ताक़ अहमद को 15 साल की सजा एवं रकीबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली की मां कौशल रानी को 10 साल की कोर्ट ने सजा सुनाई है। रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन के वकील मुख्तार खान ने कहा कि इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
अदालत ने तीनों को अलग-अलग धाराओं में दोषी पाया था
अदालत ने तीनों को अलग-अलग धाराओं में दोषी पाया था तीनों को 120 बी ,376(2)एन ( एक ही महिला से बार बार रेप की साजिश) 298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना और 496 (जबरदस्ती विवाह करवाना या कपट पूर्ण तरिके से विवाह करवाना) में दोषी पाया था।आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने 2 जुलाई 2018 को आरोप गठित किया था। सीबीआई ने इस केस को वर्ष 2015 में टेक ओवर किया था। सीबीआई की ओर से केस साबित करने के लिए कुल 26 गवाह पेश किये गए थे, वहीं बचाव पक्ष ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 4 गवाह प्रस्तुत किये।
हिंदपीढ़ी थाना में दर्ज प्राथमिकी को सीबीआई ने किया था टेकओवर
रांची के हिंदपीढ़ी थाना में दर्ज प्राथमिकी को सीबीआई ने टेकओवर किया था। सीबीआई की दिल्ली ब्रांच ने इस मामले में कांड संख्या RC/ 9S/15 रजिस्टर्ड किया था। अभियुक्तों पर सोची समझी साजिश के तहत तारा शाहदेव के साथ मारपीट करने, धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताड़ित करने और उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था। आरोपों के मुताबिक 7 जुलाई 2014 को तारा शाहदेव और रकीबुल उर्फ़ रंजीत कोहली की शादी हिन्दू रीति-रिवाज के साथ हुई थी, लेकिन शादी के दूसरे ही दिन यानि 8 जुलाई को रकीबुल और मुश्ताक अहमद ने तारा को इस्लाम धर्म के मुताबिक निकाह करने और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव देना शुरू कर दिया।
यह भी आरोप लगाया गया है कि तारा जब शादी के कुछ दिनों बाद मुश्ताक अहमद के घर इफ्तार पार्टी में गई तो मुश्ताक अहमद ने गलत नियत से उसके साथ छेड़छाड़ की। सीबीआई ने जो अहम गवाह कोर्ट में पेश किये हैं उसमें दिवंगत पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, काजी जान मोहम्मद, ब्लेयर अपार्टमेंट के निवासी, झारखंड पुलिस की तत्कालीन सब इंस्पेक्टर दीपिका कुमारी (जिन्होंने तारा को रेस्क्यू किया था)। केस आईओ (जांच पदाधिकारी) हरीशचंद्र सिंह और सीबीआई की केस आईओ सीमा पहूजा शामिल हैं।सीबीआई की ओर से वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह ने इस मामले में पक्ष रखा।