Mahnar Vidhan Sabha 2025: वैशाली जिले की महनार विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या-129) हमेशा से बिहार की राजनीति का अहम केंद्र रही है। हाजीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में शामिल महनार का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। इस सीट पर जहां एनडीए का परंपरागत प्रभाव माना जाता रहा है, वहीं फिलहाल यह सीट राजद (RJD) के पास है। जातीय समीकरण और चुनावी रणनीति यहां के नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं।
चुनावी इतिहास
महनार विधानसभा का अस्तित्व साल 2008 के परिसीमन के बाद दोबारा सामने आया। इससे पहले इस क्षेत्र में केवल एक बार 1957 में चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस की बनारसी देवी ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद 2010 में भाजपा के अच्युतानंद ने एलजेपी के रामाकिशोर सिंह को हराकर यहां एनडीए का परचम लहराया। लेकिन 2015 में यह सीट नीतीश कुमार की जेडीयू के खाते में चली गई। उस चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी उमेश सिंह कुशवाहा ने भाजपा के अच्युतानंद को 27 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी।
Raja Pakar Vidhan Sabha 2025: जातीय समीकरण और राजनीतिक उठापटक से तय होगी किस्मत
2020 का चुनाव महनार की राजनीति में बड़ा मोड़ लेकर आया। इस बार आरजेडी उम्मीदवार बीना सिंह ने जेडीयू के उमेश सिंह कुशवाहा को पराजित कर सीट पर कब्जा जमा लिया। बीना सिंह को 61,721 वोट मिले जबकि कुशवाहा को 53,774 वोटों पर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में एनडीए एकजुट था, फिर भी महनार सीट राजद के खाते में चली गई। वहीं, एलजेपी प्रत्याशी रविंद्र कुमार सिंह को भी 31 हजार से ज्यादा वोट मिले, जिसने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया।
जातीय समीकरण
महनार विधानसभा सीट की सबसे बड़ी खासियत इसका जातीय समीकरण है। यादव, पासवान और राजपूत वोटरों की संख्या यहां निर्णायक भूमिका निभाती है। हालांकि किसी भी जाति की आबादी 15% से ज्यादा नहीं है, जिससे चुनाव में कोई भी जाति अकेले बाजी नहीं मार सकती। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी लगभग 4.06 लाख है, जिसमें 88.13% ग्रामीण और 11.87% शहरी लोग हैं। अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की आबादी भी यहां 21.54% है, जो उम्मीदवारों की रणनीति तय करने में अहम होती है।
आगामी चुनाव को लेकर यहां सियासी पारा पहले से चढ़ने लगा है। राजद जहां बीना सिंह के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी, वहीं एनडीए इस सीट को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए रणनीति बना रहा है। दूसरी तरफ, एलजेपी भी यहां अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए सक्रिय हो चुकी है। ऐसे में महनार की लड़ाई 2025 में और भी रोचक होने की संभावना है।






















