मणिपुर (Manipur) की 60 सीटों वाली विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान हो रहा है। जिसमें 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी। पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को हुआ था जिसमें हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं थीं। जिसके कारण 12 मतदान केंद्रों पर फिर से मतदान का आदेश दिया गया। दूसरा चरण 22 सीटों के लिए कल होना है।
कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी
2017 में कांग्रेस 60 में से 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। उसके बाद भाजपा ने 21 सीटें हासिल की थीं। बीजेपी को 36.28 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को कुल वोट का 35.11 फीसदी वोट मिला। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को चार-चार सीटें मिलीं जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने केवल एक सीट हासिल की थी।
भाजपा की सरकार
चुनाव नतीजों के बावजूद कांग्रेस राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी। मणिपुर ने चुनावों के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में अपनी पहली भाजपा सरकार का गठन किया था जिसमें तीन अन्य दलों के साथ गठबंधन किया गया था। इस बार मौजूदा विधानसभा चुनाव में बीजेपी सभी 60 सीटों पर अकेले लड़ रही है। इस बीच कांग्रेस मणिपुर प्रोग्रेसिव सेक्युलर अलायंस (MPSA) नामक छह-पार्टी समूह का हिस्सा है।
AFSPA को निरस्त करने का अनुरोध
एमपीएसए में गठबंधन सहयोगियों में कांग्रेस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और जनता दल (सेक्युलर) शामिल हैं। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में कई मुद्दों पर बात की गई है। जिसमें स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को दो अतिरिक्त एलपीजी सिलेंडर और मुफ्त इलेक्ट्रिक स्कूटर प्रदान करने के वादे शामिल हैं। इस बीच कांग्रेस का तर्क है कि उसकी सरकार मणिपुर सांस्कृतिक विविधता नीति लाएगी, बच्चों के लिए मुफ्त गंभीर चिकित्सा उपचार प्रदान करेगी मणिपुर रेजिमेंट का निर्माण करेगी और केंद्र से AFSPA को निरस्त करने का अनुरोध करेगी।