बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी पर कई हमले किए। इन हमलों में नीतीश ने मांझी के राजनीतिक ताकत पर भी सवाल उठाए। इसी के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ मौन प्रदर्शन के लिए पटना उच्च न्यायालय के निकट अंबेडकर स्मारक निर्णय लिया। लेकिन लेकिन मांझी को अंबेडकर स्मारक के नीचे प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं मिली। इसलिए मांझी, भाजपा नेताओं के साथ अंबेडकर स्मारक के गेट के बहार ही मौन सत्याग्रह पर बैठ गए। इस दौरान मांझी ने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा।
मांझी के निशाने पर नीतीश
जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने विधानसभा में महिलाओं का अपमान किया। साथ ही मेरे लिए जो बात उन्होंने कही उससे सिर्फ मेरा अपमान नहीं हुआ है बल्कि उससे सभी पिछड़ी जातियों के लोगों का अपमान हुआ है। मैं उम्र में उनसे बड़ा हूँ और राजनीति में भी उनसे पहले से हूँ। विधानसभा में छोटा-बड़ा सभी माननीय सदस्य होते हैं। उनके प्रति आदर और सामान का भाव रखना चाहिए। जीतन राम मंझी ने ये भी कहा कि मैनें तो सिर्फ इतना कहा था कि बाबा साहब ने कहा था कि आरक्षण का हर 10 साल में समीक्षा की जानी चाहिए। नीतीश कुमार 18 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं और उनके बड़े भाई भी 15 साल कुर्सी पर रहे। आखिर क्यों समीक्षा नहीं हुई?
“अपने फायदे के लिए मुझे बनाया CM“
जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने अपने फायदे के लिए मुझे सीएम बनाया था। वो समझते थे कि मुसहर समाज का लोग बड़ा सीधा होता है। इसको बना देंगे तो कहेंगे वो करेगा। उनका 2014 में जब बुरा हाल हो गया है। तो सभी ओर उनकी थू-थू होने लगी। उनके इस्तीफे की मांग भी होने लगी। इसलिए उन्होंने एक सीधा-साधा आदमी को कुर्सी पर बैठा दिया। 2 महीना तक जैसा उन्होंने कहा वैसा हमने किया भी। उसके बाद लगातार यह बातें आने लगी कि जीतन राम मांझी रबर स्टैंप है और रिमोट से चलते है तो फिर मैंने काम करना शुरू किया तो उनके पेट में दर्द होने लगा।