बिहार में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के जरिए मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के आरोपों को लेकर संसद में मंगलवार को भारी हंगामा हुआ। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्यसभा में कहा, “बिहार में SIR के ज़रिए 65 लाख वोट काटे जा रहे हैं। यही प्रक्रिया अब असम में लागू की जा रही है और जल्द ही बंगाल में भी की जाएगी। यानी पूरे देश में सिर्फ वही वोट डालेगा जिसे भाजपा और चुनाव आयोग मंजूरी देगा।” उन्होंने आगे कहा, “गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और भाजपा-विरोधी विचारधारा वालों को मताधिकार से बाहर किया जा रहा है। अगर ऐसा चलता रहा तो संविधान भी मरेगा और संसद की मर्यादा भी। इसी कारण विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया है।”
राजद सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे को और तीखा करते हुए कहा, “हम इसे चोरी नहीं कह रहे, ये तो सीधी डकैती है। इस डकैती में चुनाव आयोग शरीक-ए-गुनाह है और ऊपर बैठे दो लोग भी।” उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद को ही खतरा है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए कहा, “भाजपा को साजिश और षड्यंत्र करने में महारत है। SIR प्रक्रिया को एक साल पहले भी शुरू किया जा सकता था, लेकिन जानबूझकर चुनाव से पहले लाया गया है ताकि बड़े पैमाने पर वोट काटे जा सकें।”
उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी ने दो साल पहले उत्तर प्रदेश में 18,000 वोट डिलीट होने की शिकायत सबूतों के साथ दी थी, लेकिन आज तक किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। “अगर एक अधिकारी पर भी कार्रवाई होती, तो आज किसी की हिम्मत नहीं होती वोट काटने की। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ अधिकारों का नहीं, बल्कि अब मताधिकार का भी हनन कर रही है।






















