Mokama Vidhansabha 2025: मोकामा विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 178) बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां राजनीति हमेशा बाहुबली नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। पटना जिले में आने वाली यह सीट दशकों से राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा की राह बनी हुई है। 1951 से लेकर आज तक मोकामा की राजनीति का इतिहास गवाह रहा है कि यहां सत्ता की चाबी वही हासिल करता है, जिसके पास प्रभाव, जातीय संतुलन और जनता के बीच पकड़ मजबूत होती है।
चुनावी इतिहास
मोकामा का राजनीतिक इतिहास कांग्रेस, जनता दल, जदयू और आरजेडी जैसे दलों के उतार-चढ़ाव का गवाह रहा है। 1951 से लेकर 1985 तक कांग्रेस का दबदबा यहां लगातार देखा गया, लेकिन उसके बाद इस सीट ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। 1990 और 1995 में दिलीप सिंह जनता दल से जीते, और 2000 के बाद से अनंत सिंह का दबदबा इस सीट पर कायम हो गया। अनंत सिंह ने बतौर जदयू उम्मीदवार और फिर निर्दलीय चुनाव जीतकर यह साबित कर दिया कि मोकामा में जीत पार्टी से ज्यादा व्यक्ति के प्रभाव पर निर्भर करती है।
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2020 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह आरजेडी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और उन्होंने जेडीयू प्रत्याशी को 35,757 वोटों से मात देकर लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज की। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्दलीय रहते हुए भी उन्होंने बड़े दलों के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि, 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी की सोनम देवी को 16,741 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत महागठबंधन की ताकत और अनंत सिंह की जातीय-सामाजिक पकड़ का प्रमाण थी।
जातीय समीकरण
मोकामा की राजनीति में जातीय समीकरण बेहद अहम है। भूमिहार समाज यहां निर्णायक भूमिका में है, जिसके चलते अनंत सिंह को हमेशा सीधा लाभ मिलता रहा। इसके साथ ही यादव, कुर्मी, पासवान और राजपूत समुदाय भी वोट बैंक का संतुलन तय करते हैं। रविदास और अन्य दलित वर्ग भी यहां के चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि हर दल अपने प्रत्याशी के चयन में इस जातीय समीकरण को साधने की कोशिश करता है।
बीजेपी अब तक मोकामा से जीत दर्ज नहीं कर पाई है। 1985 के बाद कांग्रेस भी यहां से सत्ता से बाहर हो गई। मौजूदा समय में यह सीट महागठबंधन के खाते में है, लेकिन बीजेपी लगातार इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। अनंत सिंह की अनुपस्थिति के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है। मोकामा विधानसभा का राजनीतिक समीकरण यह साफ करता है कि यहां केवल पार्टी का नाम काफी नहीं है, बल्कि उम्मीदवार की छवि, जातीय समीकरण और क्षेत्र में पकड़ ही जीत-हार का सबसे बड़ा आधार है।






















