देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुके नार्को-आतंक नेटवर्क पर एक बड़ी कार्रवाई में पंजाब पुलिस और मोतिहारी पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाकर ऐसा खुलासा किया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इंडो-नेपाल रक्सौल बॉर्डर (Motihari Raxaul Border) से गिरफ्तार किया गया भगोड़ा फौजी राजवीर सिंह न सिर्फ नशा तस्करी में शामिल था, बल्कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी और तस्कर नेटवर्क के सीधे संपर्क में रहकर संवेदनशील सैन्य जानकारियां भी साझा कर रहा था। इस गिरफ्तारी को सीमा पार आतंकी साजिशों पर करारा प्रहार माना जा रहा है।
जांच एजेंसियों के अनुसार, हरियाणा के सिरसा में महिला पुलिस थाने पर हुए ग्रेनेड हमले की साजिश रचने में भी राजवीर सिंह की भूमिका सामने आई है। मोतिहारी के हरैया थाना क्षेत्र में चलाए गए इस संयुक्त ऑपरेशन के दौरान आरोपी के पास से एक हैंड ग्रेनेड और करीब 500 ग्राम हेरोइन बरामद की गई। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वह इंडो-नेपाल रक्सौल बॉर्डर के रास्ते नेपाल होते हुए यूरोप भागने की फिराक में था, लेकिन उससे पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने उसे दबोच लिया।
राजवीर सिंह वर्ष 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुआ था। वर्ष 2022 में वह सोशल मीडिया और इंटरनेट मीडिया के जरिए पाकिस्तान स्थित हैंडलरों के संपर्क में आया। नशे की खेपों तक पहुंच और तस्करी के बदले उसने कई गोपनीय और संवेदनशील सैन्य जानकारियां साझा कीं। अमृतसर ग्रामीण क्षेत्र के घरिंडा थाने में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत जासूसी का मामला दर्ज होने के बाद फरवरी 2025 में वह सेना से फरार हो गया था। इसके बाद उसने नेपाल में छिपकर रहना शुरू किया और भारत-नेपाल सीमा के बीच आवाजाही करते हुए नशा तस्करी का नेटवर्क मजबूत करता रहा।
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पंजाब पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि राजवीर का सहयोगी चिराग, जो फाजिल्का के काशी राम कॉलोनी का निवासी है, उसके लिए कूरियर का काम करता था। चिराग की गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से 407 ग्राम हेरोइन और एक 9 एमएम पिस्टल बरामद की गई थी। दोनों के तार हरियाणा के सिरसा में हुए ग्रेनेड हमले से जुड़े पाए गए, जहां अमृतसर ग्रामीण निवासी गुरजंत सिंह को हैंड ग्रेनेड मुहैया कराए गए थे। गुरजंत को हरियाणा पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है और हमले के लिए आर्थिक मदद भी इसी नेटवर्क के जरिए पहुंचाई गई थी।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह मामला केवल एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस खतरनाक नेटवर्क का पर्दाफाश है, जिसमें नशा तस्करी, जासूसी और आतंकवाद एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इंडो-नेपाल सीमा जैसे संवेदनशील इलाकों का इस्तेमाल कर देश की सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश की जा रही थी। राजवीर सिंह की गिरफ्तारी से न केवल इस नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है, बल्कि यह भी साफ हो गया है कि नार्को-आतंक अब सीमा पार से संचालित एक संगठित रणनीति का हिस्सा बन चुका है। आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर पंजाब ले जाया गया है, जहां उससे आगे की पूछताछ जारी है।






















