भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाना क्षेत्र में मंगलवार की शाम 37 वर्षीय सुमित सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वारदात कृष्णागढ़ के सोहरा गांव में हुई, जहां मृतक पर पांच गोलियां चलाई गईं। एक्स-रे में फिलहाल दो गोलियां दिखी हैं। सुमित सिंह हेतमपुर गांव के रहने वाले थे और त्रिभुआनी कोठी के पास मोबाइल की दुकान चलाते थे।
मुखिया और बेटों पर हत्या का आरोप
मृतक के चाचा अरुण सिंह ने हत्या का आरोप सोहरा पंचायत के मुखिया मोहन शर्मा और उनके दो बेटों पर लगाया है। चाचा के मुताबिक, दो महीने पहले मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के दौरान विवाद हुआ था।
अरुण सिंह ने कहा “मुखिया और उनके बेटे ने हमारे साथ मारपीट की थी। आज उसी मामले में पूछताछ के लिए चौकीदार ने हमें बलुआ गांव बुलाया था। लौटते समय सोहरा गांव में मुखिया और उनके बेटों ने भतीजे पर गोली चला दी।”
घटना के बाद की स्थिति
घटना के तुरंत बाद सुमित को गंभीर हालत में आरा के बाबू बाजार स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिजन शव लेकर आरा सदर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि जब तक अपराधी गिरफ्तार नहीं होंगे, शव को नहीं ले जाएंगे। पुलिस और प्रशासन की समझाइश के बाद स्थिति नियंत्रण में आई।
पुलिस की कार्रवाई और बयान
घटनास्थल से पुलिस ने गोलियों के खोखे बरामद किए हैं। एफएसएल टीम भी मौके पर साक्ष्य जुटा रही है। सदर एसडीपीओ रंजीत कुमार सिंह ने कहा,
“फिलहाल मृतक के परिजनों का औपचारिक बयान नहीं आया है। मुखिया और उनके बेटों पर आरोप लगाए गए हैं। अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है।”
मृतक पर भी थे आपराधिक मामले
सुमित सिंह पर हत्या और हत्या के प्रयास सहित छह आपराधिक मामले दर्ज थे। उनके परिवार में मां केस कुमारी देवी, पत्नी सुमन देवी और दो बेटे नितिन एवं मुन्ना हैं। घटना के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
विधायक की मांग: थाना प्रभारी पर कार्रवाई हो
घटना की जानकारी मिलते ही बड़हरा के बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। विधायक ने सरैया थाना के प्रभारी और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल हटाने की मांग की। उन्होंने कहा,
“थाना को घटना की जानकारी पहले से थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
पृष्ठभूमि: दो माह पुराना विवाद
अरुण सिंह और अन्य ग्रामीणों ने मुखिया मोहन शर्मा को पंचायत का मुखिया बनाने में समर्थन दिया था। बाद में मुखिया पर योजनाओं में अनियमितता और वसूली का आरोप लगाकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
अरुण सिंह ने कहा, “मुखिया के खिलाफ गांव-गांव जाकर वार्ड सदस्यों और सरपंच से साइन कराए जा रहे थे। इस विवाद के कारण मुखिया और उनके परिवार से दुश्मनी बढ़ गई थी।”
इस हत्या ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। परिजनों ने मुखिया और उनके बेटों पर साजिश का आरोप लगाते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई तेज कर दी है। वहीं, स्थानीय विधायक ने भी मामले की निष्पक्ष जांच और थाना प्रभारी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।