बिहार की 40 लोकसभा सीट में एक नाम मुजफ्फरपुर का भी है। ये वही सीट है जिसने बिहार के एक कद्दावर नेता रहे जॉर्ज फ़र्नान्डिस को कई बार सांसद बनाया। शुरूआती चुनावों से यहाँ कांग्रेस का दबदबा देखने को मिलता है। लेकिन इमरजेंसी के बाद से जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने कांग्रेस के किले को गिरा दिया। जिसके बाद अबतक सिर्फ एक बार ही कांग्रेस को जीत नसीब हुई। इस सीट की एक खास बात ये भी है कि यहाँ से अबतक हुए चुनावों में 10 बार बाहरी लोगों ने बाजी मारी है। जो मूल रूप से बिहार या मुजफ्फरपुर के नहीं थे। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना परचम बुलंद कर रखा है।
दरभंगा लोकसभा सीट: ब्राह्मण, मुस्लिम, यादव के प्रभाव वाली सीट, पिछले तीन चुनाव से BJP का परचम बुलंद
1957 से अबतक चुनावी उलटफेर

1957 के चुनाव में कांग्रेस के श्याम नंदन सहाय ने जीत हासिल की थी। मगर उसके ठीक बाद उनका निधन हो गया। उप चुनाव में गुजरात से आए आचार्य जीबी कृपलानी की पार्टी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के अशोक मेहता उम्मीदवार बनाए गए और विजयी हुए। 1962 से 1977 तक यहाँ कांग्रेस का एकक्षत्र राज रहा। लेकिन 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने कांग्रेस किले में सेंध लगा दिया।
जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने इस सीट से कभी जनता पार्टी, तो कभी जनता दल(सेक्युलर), कभी जनता दल तो कभी जदयू के उम्मीदवार के रूप में पांच बार चुनाव जीते। जॉर्ज फ़र्नान्डिस के बाद भी इस सीट से जदयू उम्मीदवार जय नारायण निषाद सांसद बने। वही जय नारायण निषाद जो कभी राजद में हुआ करते थे और जार्ज फर्नाडिस को चुनाव हराया भी था। वर्तमान में उसी पूर्व सांसद जय नारायण निषाद के बेटे और भाजपा नेता अजय निषाद पिछले दो बार से सांसद हैं।
नेक टू नेक होती है लड़ाई
मुजफ्फरपुर में कोई एक या दो जाति कभी भी निर्णायक भूमिका में नहीं होती है। इसलिए किसी के साथ किसी का जुड़ना अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसलिए यहाँ लडाई हमेशा नेक टू नेक होती है । संख्या बल में भूमिहार, यादव, वैश्य, मुस्लिम, मल्लाह(निषाद) और कुशवाहा निर्णायक मोड में रहते हैं। इसमें जो कोई दूसरे के घर में सेंध लगाने में सफल रहता है,बाजी मार ले जाता है।
राजनीतिक विरासत वाली सीट
पिछले दो लोकसभा चुनाव से यहाँ भाजपा के अजय निषाद जीतते आ रहे हैं। उन्हें ये सीट विरासत के रूप में अपने पिता जय नारायण निषाद से मिली। जो 1996 में जनता दल से, 1998 में राजद से, 1999 और 2009 में जदयू से चुनाव लड़कर जीते थे। आने वाले चुनावों में भी यहाँ काटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। कांग्रेस और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को भी इस सीट से काफी आस है।
मुजफ्फरपुर लोकसभा के अंर्तगत आने वाले विधानसभा सीट

अब बात मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र के बारे में कर लेते हैं।मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीट हैं। जिसमें से 2-2 सीट पर भाजपा और राजद का कब्ज़ा है। वही जदयू और कांग्रेस के पास एक-एक सीट है गायघाट से राजद के निरंजन राय , औरइ से भाजपा के दीनानाथ भास्कर, बोचहाँ से राजद के अमर कुमार पासवान , सकरा से जदयू के अशोक कुमार चौधरी , कुढ़नी से भाजपा के केदार गुप्ता, मुजफ्फरपुर से कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी विधायक हैं।