मुजफ्फरपुर में नाबालिग दलित लड़की से बलात्कार और फिर इलाज के दौरान पटना में हुई उसकी मौत के मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। इस संवेदनशील और भयावह मामले को लेकर बिहार कांग्रेस का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राजभवन पहुंचा और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर न्याय की मांग की। बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और पूरे मामले में “तत्काल हस्तक्षेप” की मांग की। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह घटना न सिर्फ समाज को झकझोरने वाली है बल्कि यह सरकार की संवेदनहीनता और प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर करती है।
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कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने पूरे मामले पर बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर चर्चा किए जाने की मांग राजपाल से की। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा है इस पूरे मामले में जांच कराया जाए और और pmch और एसकेएमसीएच के डॉक्टर और पदाधिकारी को चिन्हित कर कठोर कार्रवाई की जाए। प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस राजेश कुमार ने कहा कि राजपाल ने पूरे मामले को बहुत ध्यान से सुना है और कहा है कि इस पूरे मामले में वह राज्य सरकार से बातचीत करेंगे।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा, “यह केवल बलात्कार का मामला नहीं है, बल्कि यह हत्या है। बच्ची के शरीर पर 17 जगह चोट के निशान थे, और उसे समय पर अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया। यह सरकार की आपराधिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।” उन्होंने बताया कि बच्ची की मां विधवा है और उसे आर्थिक सहायता के साथ सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।
राज्यपाल ने दिया आश्वासन
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कांग्रेस नेताओं की बात गंभीरता से सुनी और आश्वासन दिया कि वे पूरे मामले की समीक्षा कर सरकार को आवश्यक सुझाव देंगे। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में पहल की जाएगी। घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और गरीब, दलित व कमजोर वर्ग की बच्चियों के लिए न्याय की उम्मीद अब भी दूर की बात है।
जांच के लिए बनाई गई है टीम
बता दें कि घटना के बाद बच्ची का पहले मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में इलाज हुआ था। इसके बाद उसे पीएमसीएच (पटना) लाया गया था। दोनों जगह इलाज में लापरवाही के आरोप लगे हैं। इस पूरे मामले में जब विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू किया तो मंत्री मंगल पांडेय ने जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के तीन डायरेक्टर इन चीफ के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया है। दूसरी ओर सरकार ने एक्शन लेते हुए पीएमसीएच के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत को पद से हटा दिया है। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच की डॉ. कुमारी विभा को भी सस्पेंड किया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। 15 दिनों के भीतर स्पीडी ट्रायल चलाकर कठोर कार्रवाई की बात सरकार की ओर से कही गई है। इसी बीच अब यह मुद्दा राजभवन तक पहुंच गया है।