सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई की, जिसमे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने सरकार से सीएए पर दाखिल याचिका से सम्बंधित सवालों का जवाब माँगा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब के लिए 3 हफ्ते का समय दिया जा रहा है। इस मामले पर 9 अप्रैल को सुनवाई करेंगे। वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता मिली तो हम दोबारा कोर्ट आएंगे।
सुनवाई के दौरान याचिका पक्ष के वकील निजाम पाशा ने अपनी तरफ से दलील देते हुए कहा कि सीएए की वजह से मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है। इसपर सॉलिसीटर जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि ये एनआरसी नहीं है। पहले भी लोगों को गुमराह कर उकसाया गया था। ऐसा करना गलत है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों पक्ष 5-5 पन्ने का लिखित संक्षिप्त नोट जमा करवाएं। कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार इसपर 8 अप्रैल तक जवाब दे। सोलिसिटर जनरल ने कहा कि नागरिकता का आवेदन मिलने से लेकर उसे देने की प्रक्रिया लंबी है। एकदम से किसी को नागरिकता नहीं मिलती। अगर किसी को दी भी गई तो याचिकाकर्ताओं का कुछ नहीं बिगड़ जाएगा। बलूचिस्तान हिन्दू पंचायत के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हम लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। अगर अब नागरिकता मिल रही है तो बाधा नहीं डालनी चाहिए। इधर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएए के संसद से पारित होने के 4 साल से भी अधिक समय बाद इसे लागू किया गया है। एक बार किसी को नागरिकता दे दी गई, तो उसे वापस लेना कठिन होगा। इसलिए अभी रोक लगनी चाहिए। सरकार जवाब के लिए समय चाहती है, कोई समस्या नहीं, पर अभी रोक लगाई जाए। उन्होंने सीजेआई से गुजारिश की कि अप्रैल में इस मामले पर सुनवाई कर लीजिए।
सुनवाई के दौरान इधर सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ करते हुए निर्देश दिया कि सीएए पर कोई रोक फिलहाल नहीं लगने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत फिलहाल सीएए कानून के अमल पर कोई रोक नहीं लगाने जा रही है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 8 अप्रैल तक जवाब मांगा है।