मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा के बीच भाजपा को बड़ा झटका लगा है। एनडीए का सहयोगी दल एनपीपी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी है। एनपीपी इस बाबत चिट्ठी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेज दिया है। एनपीपी के 7 विधायक हैं। हालांकि एनपीपी के समर्थन वापसी से बीरेन सिंह सरकार को खतरा नहीं है, लेकिन राज्य में लगातार अव्यवस्था के बीच एनपीपी की समर्थन वापसी एक बड़ा कदम है।
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एनपीपी ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र
एनपीपी ने भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा को लिखे पत्र में दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में स्थिति बहुत ही खराब हो गई है और कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है तथा राज्य के लोग बेहद कष्ट से गुजर रहे हैं। एनपीपी ने अपने पत्र में कहा कि हमें विश्वास है कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है। पत्र में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है।
मणिपुर विधानसभा का कंपोजिशन
राज्य में कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 60 है। एनडीए के कुल विधायकों की संख्या 53 है। इनमें बीजेपी के विधायकों की संख्या 37 है, जबकि एनपीएफ के 5, जेडयू के एक और निर्दलीय तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है। एपीपी के सात विधायक भी एनडीए का समर्थन कर रहे थे, लेकिन उन्होंने नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस के पांच और केपीए के दो विधायक हैं।