कर्नाटक विधासभा चुनाव के नतीजे आज घोषित कर दिए गए हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक में बंफर जीत हासिल की है। जिसने कांग्रेस में एक नई ऊर्जा फूंकी है। कांग्रेस की जीत के बाद उसकी रणनीतियों की खुब चर्चा हो रही है। इस बात की भी चर्चा तेज है कि कांग्रेस के लिए परदे के पीछे रणनीति किसने बनाई। दरअसल कर्नाटक की जीत से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कनेक्शन निकल कर सामने आ रहा है। सुनील कोनुगोलू नाम के एक चुनावी रणनीतिकार ने कांग्रेस के लिए कर्नाटक में जो रणनीति बनाई उसी का फायदा कांग्रेस को मिला है। सुनील कोनुगोलू पहले प्रशांत किशोर के ही साथ ही काम करते थे। लेकिन बाद में उनकी लाईन प्रशांत किशोर से अलग हो गई।
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प्रशांत किशोर की जुड़े थे सुनील कोनुगोलू
सुनील कोनुगोलू वर्ष 2014 में प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक से जुड़े हुए थे। जिस वक्त प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बना रहे थे उस समय सुनील कोनुगोलू भी उनके साथ थे। हालांकि बाद में प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीतिकार के रूप में भाजपा का साथ छोड़ दिया। उसके बाद प्रशांत किशोर और सुनील कोनुगोलू की भी राह अलग-अलग हो गई। चुनावी रणनीतिकार के रूप में सुनील भाजपा से साथ डटे रहे। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही। बाद में कई और राजनीतिक दलों के लिए भी उन्होंने रणनीतियां बनाई। पिछले कुछ समय से वो कांग्रेस के साथ जुड़े हुए हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति भी उन्होंने ने ही तय की। कर्नाटक में कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने का जिम्मा भी सुनील कोनुगोलू के पास था जिसमें वो सफल भी हुए।
कर्नाटक में सुनील का फॉर्मूला हिट
कर्नाटक चुनाव कैंपेन के दौरान कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को सबसे बड़ा हथियार बनाया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री की छवि को भ्रष्टाचारी बताकर ही कांग्रेस ने चुनाव में उसे भुनाने की कोशिश की। जिसमें कांग्रेस को सफलता भी मिली। कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करने के लिए 40% PayCM कैंपेन चलाया। ये कैंपेन सुनील कोनुगोलू की दिमाग की उपज थी। इस कैंपेन में एक QR कोड के बीच कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मबई की फोटो लगाकर उन्हें 40 % कमीशन लेने वाला मुख्यमंत्री बताया गया। पूरे चुनाव में इस कैंपेन की खुब चर्चा भी हुई।
चुनावी कैंपेन में बजरंगबली वाले मुद्दे की एंट्री के बाद भाजपा फ्रंटफुट पर आ गई थी। लेकिन उसको बैकफुट पर भेजने के लिए कांग्रेस की तरफ से फिर से भ्रष्टाचार का मुद्दा को उठाया गया। जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे का “जय बजरंगबली, तोड़ दे भ्रष्टाचार की नली” वाला बयान ने बहुत काम किया। कहा जा रहा है कि इसके पीछे की पूरी सोच सुनील कोनुगोलू की ही थी।