बिहार की राजनीति में सियासी उलटफेर आम बात है, लेकिन नौतन विधानसभा क्षेत्र की राजनीति कुछ अलग ही कहानी बयां करती है। जहां एक ओर यादव और मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में मौजूद हैं, वहीं राजद को यहां लगातार हार का सामना करना पड़ा है। यह बात इस क्षेत्र को विश्लेषकों की खास रुचि का केंद्र बना देती है।
लौरिया विधानसभा: जातीय संतुलन, विकास की उम्मीदों और विनय बिहारी की लगातार जीत की कहानी
1951 से लेकर 1985 तक कांग्रेस ने इस सीट पर झंडा बुलंद रखा। लेकिन इसके बाद समीकरण बदलते गए। 1990 के दशक में जेडीयू और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने चार बार चुनाव जीते, हालांकि 2009 और 2015 में उन्हें हार झेलनी पड़ी। 2020 और 2015 में भाजपा से नारायण प्रसाद ने लगातार जीत दर्ज की। 2020 में उन्हें 46.97% वोट मिले, जबकि 2015 में 44.35%।
वोटिंग ट्रेंड और नतीजे
- 2020: भाजपा – 78,657 (46.97%), कांग्रेस – 52,761 (31.51%)
- 2015: भाजपा – 66,696 (44.35%), जेडीयू – 52,362 (34.82%)
- 2010: जेडीयू – 40,894 (36.48%), एलजेपी – 18,130 (16.17%)
वोटिंग प्रतिशत हर चुनाव में करीब 55-62% के बीच रहा है।
जातीय समीकरण: बहुलता के बावजूद क्यों पिछड़ी राजद?
नौतन में यादव और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है—मुस्लिम वोटर लगभग 17.3% और यादव भी निर्णायक हैं। फिर भी राजद कभी भी जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इसका मुख्य कारण कोइरी, कुर्मी और रविदास जैसे वर्गों का भाजपा और अन्य दलों के साथ झुकाव माना जाता है।
जनसंख्या और वोटिंग प्रोफ़ाइल (2011 जनगणना के अनुसार)
- अनुसूचित जाति: 12.45%
- अनुसूचित जनजाति: 0.66%
- मुस्लिम मतदाता: 17.3%
- ग्रामीण मतदाता: 98.45%
- शहरी मतदाता: 1.56%
2025 में क्या बदल पाएगा समीकरण?
अगर राजद मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ कोइरी और रविदास समुदाय में पैठ बनाती है, और कांग्रेस के साथ मजबूत तालमेल करती है, तभी मुकाबला बराबरी का हो सकता है। वरना भाजपा की स्थिति मजबूत बनी रहेगी।