भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. विपक्ष उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी हैं. इसके लिए मतदान 9 सितंबर को होगा और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की देर शाम अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसकी वजह से यह चुनाव हो रहा है. 74 साल के धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था. ऐसे में उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था. इस चुनाव को लेकर राजनीति अपने चरम पर है. संसद से सोशल मीडिया तक उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर चर्चाएं आम हैं और दोनों ही गठबंधन ‘डिनर’ पॉलिटिक्स में व्यस्त हैं.
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इसमें यह देखना है कि कौन सा गठबंधन अपनी निर्धारित संख्या से अधिक मतदान करा सकता है. कुल 782 वोटों में से 48 वोट ऐसे हैं जो न ही एनडीए के साथ है और न ही इंडिया के साथ. एनडीए गठबंधन की रणनीति की बात करें तो इस चुनाव में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह चुनाव का नेतृत्व और समन्वय कर रहे हैं. उन्होंने सभी दलों से बात की है. वोट मिलता है या नहीं मिलता ये अलग बात है. एनडीए के पास चुनाव में जीत के लिए ज़रूरी 391 वोट से 31 वोट ज़्यादा हैं. वहीं इंडिया ब्लॉक के पास 312 वोट हैं. ऐसे में ( एनडीए) के पास चुनाव में जीत के लिए ज़रूरी 391 वोट से 31 वोट ज़्यादा हैं. वहीं इंडिया ब्लॉक के पास 312 वोट हैं. ऐसे में एनडीए की जीत में कोई संदेह की बात नहीं है.वहीं भाजपा और आरएसएस के बीच बेहतर समन्वय है. यही वजह है कि आरएसएस के एक स्वयंसेवक को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. डीएमके, ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है, लेकिन राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं. ऐसे में स्टालिन उनका समर्थन कर सकते हैं, जिनकी पार्टी के पास 32 वोट हैं. अगर वे नहीं करते तो बीजेपी इसका इस्तेमाल उनके ख़िलाफ़ करेगी.
वहीं भाजपा और आरएसएस के बीच बेहतर समन्वय है. यही वजह है कि आरएसएस के एक स्वयंसेवक को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. डीएमके, ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है, लेकिन राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं. ऐसे में स्टालिन उनका समर्थन कर सकते हैं, जिनकी पार्टी के पास 32 वोट हैं. अगर वे नहीं करते तो बीजेपी इसका इस्तेमाल उनके खिलाफ करेगी.





















