बिहार विधानसभा चुनाव पास हैं और इस बार चुनाव आयोग की खास नजर महिला मतदाताओं पर है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पुरुषों की तुलना में महिलाएं हमेशा अधिक संख्या में मतदान करती रही हैं। यही कारण है कि आयोग और राज्य सरकार ने इस बार महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने के लिए एक खास पहल शुरू की है। इस अभियान की सबसे बड़ी जिम्मेदारी ग्रामीण इलाकों में सक्रिय स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं यानी जीविका दीदियों को दी गई है।
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चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने मिलकर तय किया है कि बूथ तक न पहुंच पाने वाली करीब 40% महिला मतदाताओं को सक्रिय करने का काम जीविका दीदियों और अन्य महिला कार्यकर्ताओं के जिम्मे होगा। जीविका दीदियां गांव-गांव जाकर महिलाओं को वोट डालने के लिए प्रेरित करेंगी। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका भी घर-घर जाकर महिला मतदाताओं को मतदान की अहमियत समझाएंगी। बिहार में मतदाता सूची में भले ही महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम हो, लेकिन वोटिंग के दिन उनकी भागीदारी हमेशा आगे रहती है। यही वजह है कि आयोग ने इस बार महिलाओं को और संगठित करने का फैसला किया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास मित्र अनुसूचित जाति टोलों में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे। शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और निकाय कर्मी मतदाताओं को प्रेरित करेंगे। कॉलेजों में विशेष अभियान चलाकर युवा वोटरों को मतदान के महत्व से जोड़ा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी महिला पर्यवेक्षिकाएं और सीडीपीओ करेंगी ताकि अभियान का असर जमीन पर साफ दिखे।