वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को साफ शब्दों में कहा कि हाल ही में की गई जीएसटी दरों में कटौती से संभावित राजस्व हानि की भरपाई के लिए केंद्र सरकार किसी भी तरह का मुआवजा देने पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि इस राजस्व गिरावट का बोझ केंद्र और राज्य दोनों को समान रूप से उठाना होगा, क्योंकि यह कर संरचना की साझी व्यवस्था है.
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सीतारमण ने समझाया कि जीएसटी से प्राप्त राजस्व में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 50-50 होती है. इसमें भी केंद्र के हिस्से का 41% राज्यों को वापस चला जाता है, जिससे वास्तव में केंद्र के पास सिर्फ 23% राजस्व ही बचता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में नुकसान का असर केंद्र पर भी उतना ही पड़ेगा, जितना राज्यों पर पड़ता है. इस महीने की शुरुआत में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कर दरों को सरल बनाने का बड़ा फैसला लिया गया. अब तक चार स्लैब में बंटे जीएसटी को घटाकर केवल दो प्रमुख स्लैब 5% और 18% कर दिया गया है. वहीं, विलासिता एवं अहितकर उत्पादों पर विशेष तौर पर 40% की दर लागू रहेगी.
वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि हाल की दर कटौती और नए ढांचे से ‘नई पीढ़ी के जीएसटी सुधार’ की शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि इससे न केवल कर प्रणाली पारदर्शी और सरल बनेगी, बल्कि बाजार में मांग भी बढ़ेगी.सीतारमण के मुताबिक, नई जीएसटी व्यवस्था से दो लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि अर्थव्यवस्था में प्रवाहित होगी. इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को मिलेगा. उन्होंने दावा किया कि इससे 140 करोड़ लोगों को फायदा होगा और उपभोग क्षमता में वृद्धि होगी.