मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar Cabinet) ने हाल ही में गठित तीन नए विभागों का मंत्रियों के बीच बंटवारा कर यह साफ कर दिया गया है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि नीतीश सरकार अब विकास, रोजगार और प्रशासनिक नियंत्रण के नए फोकस के साथ आगे बढ़ेगी। सबसे अहम फैसला मुख्यमंत्री द्वारा सिविल विमानन विभाग को अपने पास रखने का रहा है। बिहार जैसे राज्य में जहां औद्योगिक विकास और पर्यटन को गति देने के लिए हवाई संपर्क अहम माना जा रहा है, वहां सिविल विमानन का सीधा नियंत्रण मुख्यमंत्री के पास होना सरकार की मंशा को दर्शाता है।
शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जेडीयू कोटे से मंत्री सुनील कुमार को उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपे जाने के साथ उनके कद में इजाफा हुआ है। पहले से शिक्षा और विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे सुनील कुमार अब उच्च शिक्षा की कमान भी संभालेंगे। इससे यह संदेश जाता है कि सरकार शिक्षा नीति में निरंतरता और समन्वय चाहती है, ताकि स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
वहीं, रोजगार और श्रम से जुड़े मोर्चे पर भाजपा कोटे से मंत्री संजय सिंह टाइगर की भूमिका और मजबूत की गई है। श्रम संसाधन विभाग, जिसका नाम हाल ही में बदलकर श्रम संसाधन एवं प्रवासी श्रमिक कल्याण विभाग किया गया है, पहले से उनके पास था। अब उन्हें युवा, रोजगार एवं कौशल विकास विभाग भी सौंपा गया है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब बिहार में रोजगार, पलायन और स्किल डेवलपमेंट जैसे मुद्दे राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में हैं। सरकार का संकेत साफ है कि श्रम और रोजगार से जुड़ी नीतियों को एक ही नेतृत्व में लाकर बेहतर परिणाम हासिल किए जाएं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पहले से सामान्य प्रशासन, मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी और निर्वाचन जैसे शक्तिशाली विभाग हैं। अब सिविल विमानन भी उनके पास आने से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासनिक नियंत्रण और रणनीतिक विभागों पर सीएम की सीधी पकड़ बनी रहेगी। इसके अलावा वे सभी विभाग भी मुख्यमंत्री के अधीन रहेंगे, जो किसी अन्य मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं, जिससे उनकी भूमिका और प्रभाव और व्यापक हो जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह सब उस पृष्ठभूमि में हो रहा है, जब नीतीश कुमार ने हाल ही में अपने सबसे अहम माने जाने वाले गृह विभाग को भाजपा के हवाले कर दिया था। दो दशक से अधिक समय तक गृह विभाग अपने पास रखने के बाद इसे छोड़ना एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना गया। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह मंत्री बनाए जाने से एनडीए के भीतर सत्ता संतुलन का नया समीकरण सामने आया है। अब नए विभागों के बंटवारे के साथ यह साफ होता जा रहा है कि नीतीश कुमार प्रशासनिक नियंत्रण और राजनीतिक साझेदारी के बीच एक नई लकीर खींच रहे हैं।






















