पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर खड़ी दिख रही है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक इमरान खान (Imran Khan Convicted) तथा उनकी पत्नी बुशरा बीबी को तोशाखाना-2 केस में 17 साल की जेल की सजा सुनाए जाने से न सिर्फ सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था पर बहस छिड़ गई है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की स्पेशल कोर्ट ने यह फैसला शनिवार को सुनाया, जो रावलपिंडी की अदियाला जेल में हुई सुनवाई के दौरान आया।
इस मामले की जड़ें साल 2021 तक जाती हैं, जब इमरान खान प्रधानमंत्री के तौर पर एक आधिकारिक दौरे पर सऊदी अरब गए थे। उसी दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस की ओर से उन्हें एक बेहद महंगा बुल्गारी ज्वेलरी सेट उपहार में मिला था। आरोप है कि इस कीमती गिफ्ट को सरकारी तोशाखाना नियमों के तहत जमा कराने के बजाय बेहद कम कीमत पर खरीद लिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। अदालत ने इसे नियमों का गंभीर उल्लंघन मानते हुए कड़ा रुख अपनाया।
CM नीतीश कुमार की सासु मां का निधन.. लंबे समय से चल रही थी बीमार
स्पेशल जज सेंट्रल शाहरुख अरजुमंद ने फैसले में कहा कि सार्वजनिक पद पर रहते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही सर्वोपरि होती है। अदालत के मुताबिक, तोशाखाना जैसे संवेदनशील मामलों में किसी भी तरह की रियायत या निजी लाभ लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है। इसी आधार पर इमरान खान और बुशरा बीबी दोनों को 17-17 साल की सजा के साथ 16.4 मिलियन पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब इमरान खान पहले से ही कई कानूनी मामलों और सियासी दबावों से जूझ रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, जबकि आलोचक इसे कानून के सामने बराबरी का उदाहरण बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस खबर के बाद #ImranKhan, #ToshakhanaCase और #PakistanPolitics जैसे ट्रेंड तेजी से उभरे, जो यह दिखाते हैं कि यह मामला केवल अदालत तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता की राय और वैश्विक मीडिया की नजर में भी है।
















