प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की मधुबनी रैली न सिर्फ प्रशासनिक घोषणाओं के कारण चर्चा में रही, बल्कि इसने बिहार की सियासी जमीन पर एक नई बहस को भी जन्म दे दिया है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने इस रैली को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है, और अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए उन्होंने कविता का सहारा लिया है।
रैली के कुछ घंटे बाद ही पप्पू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक भावनात्मक कविता साझा की, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री की मौजूदगी पर सवाल खड़े किए। उनकी कविता का मूल भाव यही था—जब देश गहरे शोक में डूबा है, तब क्या राजनीतिक सभा उचित है?
“यह अक्षम्य अपराध है,
पूरा देश शोक में डूबा है,
आप बिहार में आकर राजनीतिक रैली कर रहे हैं…”
यह कविता पीएम मोदी की उस सभा पर टिप्पणी थी, जो पहलगाम आतंकी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की मौत के बाद आयोजित हुई थी।
शोक का समय या सियासी समर?
पप्पू यादव का सवाल सीधा है: जब देश एक बड़ी त्रासदी से जूझ रहा है, तो क्या चुनावी रैलियों का आयोजन नैतिक रूप से सही है? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मंच पर “हंसी-खुशी” के माहौल में नजर आए, जबकि अनेक परिवार अपूरणीय क्षति से जूझ रहे हैं।
हालांकि, सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि मधुबनी का कार्यक्रम पूरी तरह सादगी से आयोजित किया गया था। न तो मंच पर किसी को माला पहनाई गई, न ही पारंपरिक स्वागत हुआ। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में पहलगाम हमले के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों के प्रति संवेदना भी जताई।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा पर सवाल उठाया था। तेजस्वी ने कहा था कि पीएम ने पहलगाम कांड के बाद कानपुर का कार्यक्रम रद्द कर दिया, लेकिन चुनावी राज्य बिहार आना जरूरी समझा।
मधुबनी की रैली सिर्फ सियासी ही नहीं, रणनीतिक भी मानी जा रही है। प्रधानमंत्री ने इस मंच से आतंकियों और उनके “मास्टरमाइंड्स” को सख्त संदेश दिया और विश्व समुदाय को इंगित करते हुए अंग्रेजी में भाषण दिया कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि साजिशकर्ता चाहे जहां छिपे हों, उन्हें जवाब जरूर मिलेगा।