Patepur Vidhan Sabha 2025: वैशाली जिले की पातेपुर विधानसभा सीट (संख्या 130) अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और हमेशा से चुनावी हलचल का केंद्र रही है। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली यह सीट कई दशकों से दिलचस्प मुकाबलों की गवाह रही है। इस समय यहां से बीजेपी के लोखेंद्र कुमार रौशन विधायक हैं, जिन्होंने 2020 में आरजेडी के शिवचंद्र राम को 25,839 वोटों से हराया था।
चुनावी इतिहास
अगर पातेपुर के राजनीतिक इतिहास पर नज़र डालें तो यह सीट लगातार दो नेताओं—महेंद्र बैठा और प्रेमा चौधरी—के बीच संघर्ष का मैदान रही है। 1995 से लेकर 2015 तक का चुनावी सफर बताता है कि दोनों नेताओं ने बारी-बारी से जीत दर्ज की और हार का सामना किया। 1995 में महेंद्र बैठा ने जनता दल से जीत हासिल की, तो 2000 में प्रेमा चौधरी ने आरजेडी से पलटवार किया। 2005 में दो चुनाव हुए—फरवरी में महेंद्र बैठा ने एलजेपी से जीत दर्ज की लेकिन अक्टूबर में प्रेमा चौधरी ने वापसी करते हुए जीत हासिल की।
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2010 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत का स्वाद चखा जब महेंद्र बैठा पार्टी के उम्मीदवार बने। हालांकि 2015 में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन के समर्थन से प्रेमा चौधरी ने एक बार फिर जीत दर्ज की। 2020 में समीकरण बदल गए और बीजेपी के लोखेंद्र कुमार रौशन ने निर्णायक जीत हासिल की।
जातीय समीकरण
जातीय और सामाजिक समीकरण भी इस सीट की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पातेपुर की कुल आबादी करीब 4.1 लाख है, जिसमें अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 23.16 प्रतिशत है। रविदास, पासवान और कुर्मी वोटर यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जबकि कोइरी मतदाता भी संतुलन बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। चूंकि यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, इसलिए विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे भी वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करते हैं।
आने वाले विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी अपने मौजूदा जनाधार को बरकरार रख पाती है या फिर आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन एक बार फिर पातेपुर की सत्ता पर कब्जा करता है। स्थानीय समीकरण और जातीय गणित के साथ-साथ उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि और संगठन की मजबूती इस बार का खेल तय करेगी।






















