बिहार की राजधानी पटना के राजीव नगर में आवास बोर्ड की जमीन पर बने अवैध निर्माण से संबंधित याचिका पर पटना हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। मामला पिछले साल का है। 21 जुलाई 2022 को पटना जिला प्रशासन की टीम नेपाली नगर में अतिक्रमण हटाने पहुंची थी। टीम ने लोगों को नोटिस दे दिया था। जिन्हें नोटिस दिया गया था, वे अवैध कब्जा जमाकर रह रहे थे। लेकिन जिन पर आरोप लगे थे वे इस बात से इनकार कर रहे थे कि नोटिस दिया गया था। साथ ही उनका ये भी कहना था कि हम यहां कई सालों से रह रहे हैं। लेकिन पूरे दल-बल के साथ पहुंची जिला प्रशासन की टीम ने वहां मकानों तोड़ने की शुरुआत कर दी। पुलिस बल और लोगों के बीच टकराव भी हुआ। कई लोग घायल हुए। पुलिसकर्मियों को भी चोट आई। अब कोर्ट ने जिला प्रशासन की उस कार्रवाई को गलत बताया है। साथ ही तोड़े गए मकानों को पांच-पांच लाख का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
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चार माह बाद फैसला
जुलाई 2022 में हंगामे के बाद मामला कोर्ट में गया, जिसपर लगभग चार माह पहले ही सुनवाई पूरी हो गई थी। गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि तोड़े गए मकान के बदले पांच-पांच लाख मुआवजा देना होगा। साथ ही 2018 के पहले बने हुए मकानों का सेटलमेंट करने का निर्देश भी जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को भी फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि नेपाली नगर के लोगों के लिए ही दीघा स्पेशल सेटलमेंट एक्ट और स्कीम बनी थी। लेकिन राज्य सरकार ने पालन नहीं किया। वहीं जिला प्रशासन की नेपाली नगर में कार्रवाई को गलत बताया।
400 एकड़ के 2000 से ज्यादा परिवारों को राहत
गुरुवार को कोर्ट के फैसले से 400 एकड़ में रहे रहे 2000 से ज्यादा परिवार वालों को राहत मिली है। प्रशासन की कार्रवाई के बाद लोगों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने और नए निर्माण पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया था। इसके साथ ही कहा था कि पूरे इलाके में बिजली-पानी बहाल की जाए। अब 10 महीने बाद हाईकोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन घरों पर प्रशासन ने कार्रवाई की है वो अतिक्रमणकारी नहीं हैं। लोगों को न नोटिस दिया। ना अपील करने का वक्त दिया। साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को हाईकोर्ट ने रद्द किया है।