खुद को पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बताकर डीजीपी को फोन करने वाले आरोपी अभिषेक अग्रवाल को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। अभिषेक अग्रवाल को पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया था। पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश सुनील कुमार पंवार की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता अभिषेक अग्रवाल ऊर्फ अभिषेक भोपालका के वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा, अधिवक्ता विश्वजीत मिश्रा और आर्थिक अपराध इकाई के अधिवक्ता राणा विक्रम सिंह की दलिलों को सुनने के बाद उसे नियमित जमानत दे दी।
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याचिकाकर्ता के वकील बोले – साजिश के तहत फंसाया गया
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा एवं अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्र ने बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता को एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कोर्ट को तर्क दिया कि ज्यादा से ज्यादा यह मामला आईपीसी की धारा 419 (प्रतिरूपण)का हो सकता है। प्राथमिकी में लगाए गए आरोप भी बेबुनियाद और गलत हैं, जिस सिम का उपयोग किया गया है, वह ना तो याचिकाकर्ता के नाम से है और ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य के नाम से था। आरोपों को सिर्फ आवाज की जांच के बाद ही प्रमाणित किया जा सकता है। मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि आवाज जांच के बिना ही इस मामले में याचिकाकर्ता को अभियुक्त बना दिया गया है। इन्हें इस मामले में अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया है। जिसके बाद जज ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत अभिषेक को जमानत दे दी है।
तत्कालीन DGP एसके सिंघल से बात करता था
अभिषेक अग्रवाल को पुलिस ने तब गिरफ्तार किया था, जब वो खुद को हाइकोर्ट का जज बताकर तत्कालीन डीजीपी एस के सिंघल से बात करता था। अभिषेक अग्रवाल बेहद शातिरना तरीके से खुद को राज्य के बड़े बड़े पदों का अधिकारी बता कर दूसरे पड़े पदाधिकारियों से काम करवाता था। बताया जाता है कि अभिषेक अग्रवाल का बिहार के पुलिस महकमे में अच्छी पकड़ थी। कई वरीष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध थे।