जनता दल यूनाइटेड सत्ता में होने के बावजूद अपने बड़े नेताओं को बाहर जाने से रोक नहीं पा रहा है। दूसरे शब्दों में यूं कहें तो जदयू के कुछ नेताओं को पार्टी नेतृत्व बाहर जाने पर मजबूर कर दे रहा है। शुरुआत उपेंद्र कुशवाहा से हुई। उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ सवाल उठाए, तो जदयू नेतृत्व ने कह दिया भाजपा में चले जाइए। सलाह रणबीर नंदन ने दी, तो उन्हें निकालने की पूरी प्रक्रिया रच ली गई। लेकिन रणबीर नंदन ने निष्कासन पत्र जारी होने से पहले त्यागपत्र दे दिया। अब अशोक चौधरी पर भी ऐसे आरोप लग रहे हैं, जिसमें उनके लिए पार्टी में बने रहना मुश्किल है। क्योंकि आरोप सच हैं तो अशोक चौधरी जदयू के साथ धोखा कर रहे हैं और आरोप झूठे हैं तो अशोक चौधरी के साथ साजिश हो रही है। बहरहाल, दोनों परिस्थितियों में अशोक चौधरी का पार्टी में रहना मुश्किल होते जा रहा है।
पहले ललन सिंह ने नकेल कसने की शुरुआत की
सबसे पहले अशोक चौधरी पर आरोप जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने लगाए। विधायक की शिकायत का हवाला देते हुए ललन सिंह ने अशोक चौधरी से नीतीश कुमार के सामने पूछ लिया कि वे बार बार बरबीघा क्यों जा रहे हैं। इससे वहां के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति आ रही है। सवाल अशोक चौधरी के जमुई दौरों पर भी उठे क्योंकि प्रभारी मंत्री के पद से हटाए जाने के बाद भी अशोक चौधरी वहां जा रहे थे। जवाब के बदले में अशोक चौधरी ने पहले उलटा सवाल पूछ दिया कि ललन सिंह कौन होते हैं उनके दौरों पर सवाल उठाने वाले। इसके दो दिन अशोक चौधरी फिर बरबीघा पहुंच गए।
अब विधायक सुदर्शन खुलकर आए, अशोक चौधरी पर लगाए आरोप
ललन सिंह से उठे विवाद के बाद अशोक चौधरी का जवाब अभी विवादित ही था कि बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार खुलकर सामने आए और अशोक चौधरी पर कई आरोप लगा दिया। आरोप भी ऐसे वैसे नहीं राजनीतिक, आपराधिक, व्यक्तिगत सबकुछ इन आरोपों की सूची में शामिल हैं।
विधायक सुदर्शन के अशोक चौधरी पर आरोप
- मेरे दादा राजो बाबू को बांसघाट पहुंचवाया, मेरे पिता को बांसघाट पहुंचवाया और अब मुझे वहीं पहुंचाना चाहते हैं।
- अशोक चौधरी बीजेपी के संपर्क में हैं, वे अपने दामाद को बीजेपी से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसलिए बरबीघा में सारा कुचक्र रच रहे हैं।
अशोक चौधरी और सुदर्शन का रिश्ता पुराना
दरअसल, विधायक सुदर्शन कुमार ने अशोक चौधरी पर आरोप तो लगाए हैं लेकिन दोनों की नजदीकियां पुरानी रही हैं। जिस बरबीघा सीट पर सुदर्शन कुमार विधायक हैं, उसी सीट पर 1980 से 2000 तक अशोक चौधरी के पिता महावीर चौधरी विधायक रहे हैं। 2000 और 2005 का चुनाव जीतकर अशोक चौधरी भी बरबीघा से ही विधायक रहे। लेकिन 2015 में महागठबंधन के दौरान इस सीट पर अशोक चौधरी ने कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सुदर्शन कुमार को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाया। 2017 में महागठबंधन टूटा तो अशोक चौधरी जदयू में शामिल हो गए। सुदर्शन को भी अशोक चौधरी ने बाद में जदयू में शामिल करवाया और 2020 में जदयू से टिकट दिलवाया। लेकिन अब अशोक चौधरी के लगातार दौरों को सुदर्शन कुमार अपनी सीट पर खतरा मान रहे हैं और इसी कारण विरोध कर रहे हैं।