बिहार में विधानसभा का कार्यकाल 2025 के नवंबर तक है यानि लगभग डेढ़ साल का वक्त बचा हुआ है। इस बीच देश भर में लोकसभा चुनाव होना है। अब यह दावा किया जा रहा कि बिहार की सत्ता में बैठी पार्टियां लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव कराना चाहती हैं। इसके लिए JDU और RJD में विमर्श चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि दोनों चुनाव साथ हों, ताकि भाजपा को बिहार में पूरी तरह हाशिए पर धकेल दिया जाए।
खत्म हुई कांग्रेस से सीएम की नाराजगी, नीतीश बनेंगे I.N.D.I.A के संयोजक?
क्या चाहते हैं नीतीश?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नीतीश कुमार अगर I.N.D.I.A. में बने रहते हैं तो भाजपा को हराने के लिए पूरा जोर लगाने की कोशिश में हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव के साथ राज्य का विधानसभा चुनाव भी हो जाए। इससे भाजपा को दिक्कत होगी और लोकसभा की सीटों के अधिकतर सीटें जीतने के साथ बिहार में एक बार फिर महागठबंधन की सरकार बन जाएगी। दावा है कि नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है।
राजद की परेशानी जगजाहिर
वैसे तो जदयू और राजद दोनों मिलकर बिहार में सरकार चला रहे हैं। लेकिन इन दोनों दलों के नेताओं की नजर हमेशा बिहार मुख्यमंत्री पद रहती है। नीतीश अभी सीएम हैं लेकिन आगे तेजस्वी को सीएम बनाने का वादा कर चुके हैं। दूसरी ओर राजद के नेता इस वादे के पूरा होने के इंतजार में हैं। इसी कशमकश में लालू यादव अभी तक विचार ही कर रहे हैं वक्त से पहले चुनाव का फैसला कहीं बैकफायर न कर जाए।
कांग्रेस का झुकना तय!
वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की एक अन्य सहयोगी कांग्रेस को नीतीश कुमार ने साध लिया है। दरअसल, गठबंधन की बैठकों के बाद नीतीश के नाराज होने की खबर है। मनाने के लिए कांग्रेस ने लगभग यह तय कर लिया है कि गठबंधन के संयोजक का पद नीतीश कुमार को दिया जाए। इसके लिए 3 जनवरी को वर्चुअल मीटिंग भी संभावित है। कांग्रेस को डर है कि रूठे नीतीश अन्य दलों के साथ कांग्रेस का कोलैबोरेशन भी बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में संयोजक पद उन्हें देकर मनाया जाए और गठबंधन के अध्यक्ष का पद मल्लिकार्जुन खड़गे को देकर अपनी प्रधानता बनाए रखी जाए।