भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि देश में समान नागरिक संहिता लागू होने से संविधान के प्रस्तावना एवं धारा 14 और 44 को न्यायोचित मायने में सम्मान मिलेगा। वास्तव में समान नागरिक संहिता की स्थापना एक संवैधानिक विशेषाधिकार है। देश में समानता लाने के दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण है की सभी के लिए एक कानून हो।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सर्वोच्च न्यायालय में बार बार समान नागरिक संहिता को लेकर के चर्चा की हैं, अनेक बार आदेश दिए हैं। जिस सिविल कोड को हम लेकर के जी रहे हैं वो सिविल कोड सांप्रदायिक सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला सिविल कोड है। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है।
भाजपा प्रवक्ता अरविन्द ने कहा कि समानता एक संवैधानिक वादा भी है। पिछले सात दशकों के दौरान यह न्यायिक संघर्ष और राजनीतिक अभिव्यक्ति का विषय रहा है। सवाल है कि जब विवाह और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों की बात आती है तो क्या कानून के स्तर पर समानता है?
उन्होंने कहा कि अब समय की मांग है, की अब देश में एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड हो, हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताएं हैं। अब देश को सेकुलर सिविल कोड की अत्यधिक जरूरत है, और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें है, सामान्य नागरिकों को जो दूरी महसूस होती है, उसमें हमें मुक्ति मिलेगी। वहीं दूसरी ओर संविधान की भावना भी जो हमें कहती है करने के लिए, देश की सर्वोच्च न्यायालय भी हमें जो कहता है करने के लिए और तो और जो संविधान निर्माताओं का सपना रहा था, उस सपने को भी पूरा करना हम सभी का दायित्व है। और हम तब जाकर एक देश एक विधान एक संविधान और एक निशान के मंत्र को साकार करेंगे।