विपक्षी गठबंधन तो बन गया लेकिन इसमें मौजूद दलों के बीच खींचतान अलग अलग मुद्दों पर चलती ही आ रही है। इस गठबंधन की पहल करने वाली जदयू और गठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस के बीच भी खटपट पुरानी बात हो रही है। जदयू की दिक्कत है कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पर कांग्रेस अभी तक पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रही है। जदयू गठबंधन में नीतीश कुमार के लिए सम्मानजनक पद चाहती है और कांग्रेस अभी तक इसमें आगे नहीं बढ़ी है। वैसे तो जदयू के नेता यह भी कहते हैं कि नीतीश कुमार को पद नहीं चाहिए, लेकिन सारी लड़ाई पद के इर्द-गिर्द ही टिक गई है। दूसरी ओर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान ने गठबंधन संयोजक के लिए अधिक विकल्पों के होने का शिगूफा निकल गया है।
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संयोजक नीतीश होंगे, यह तय नहीं
दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे से जब पूछा गया कि गठबंधन का संयोजक कौन होगा। तो इस पर खड़गे ने कहा कि यह सवाल तो कौन बनेगा करोड़पति जैसा है। खड़गे के इस बयान का मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि जिस प्रकार कौन बनेगा करोड़पति में हर सवाल के उत्तर के चार विकल्प दिया जाता है। उसी प्रकार गठबंधन संयोजक के लिए भी चार नाम विचारणीय है। कांग्रेस को नीतीश पर पूरा भरोसा नहीं है, यह उनके एक और बयान से समझा जा सकता है। खड़गे ने नीतीश को संदेश देते हुए कहा कि आप चिंता मत कीजिए और हमारे साथ बने रहिए। सब ठीक होगा।
संयोजक के लिए चार नामों पर हो सकता है विचार
अब सवाल उठता है कि वो चार नाम कौन से हैं, जो गठबंधन के संयोजक बन सकते हैं। तो इसमें पहले दावेदार तो निश्चित तौर पर नीतीश कुमार होंगे। चूंकि गठबंधन उनकी ही पहल पर बना है, इसलिए उनकी दावेदारी मजबूत है। लेकिन कांग्रेस गठबंधन का सबसे बड़ा दल है। ऐसे में चुनाव के बाद गठबंधन संयोजक की भूमिका को महत्वपूर्ण देखते हुए कांग्रेस यह पद अपने पास ही रखना चाहेगी। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे विकल्प हो सकते हैं।
हालांकि खड़गे के नाम पर सहमति नहीं बनी या विरोध अधिक हुआ, तो कांग्रेस सोनिया गांधी को आगे कर सबको शांत करा देने का प्रयास कर सकती है। लेकिन सोनिया गांधी के इनकार करने की स्थिति में कांग्रेस उस सहयोगी दल के नेता को गठबंधन के संयोजक पद पर बिठाना चाहेगी, जो कांग्रेस से अधिक करीब हो।