सीट शेयरिंग पर फंसी बात : I.N.D.I.A. की पांचवी संयुक्त बैठक शनिवार को हुई। यह पहली बार हुआ जब गठबंधन के नेता वर्चुअल मीटिंग में मिले। लेकिन इस मीटिंग से ममता बनर्जी समेत कई बड़े चेहरे नदारद रहे। तो दूसरी ओर इस बैठक में जो हुआ, इस पर बिहार की राजनीति अब अलग रुख में बहती दिख रही है। दरअसल, इस मीटिंग से पहले इसका एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया। लेकिन बैठक में मौजूद गठबंधन की मुख्य पार्टियों में से एक जदयू का साफ स्टैंड था कि सीट शेयरिंग पर जल्दी बात हो। लेकिन इतना तय है कि बैठक में सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है। जदयू की मांग को ऐसे दरकिनार किए जाने के बाद बिहार में राजनीतिक हवा तेजी से बदलने के संकेत मिल रहे हैं। कयास तो यहां तक लग रहे हैं कि बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों साथ ही हो सकते हैं।
नीतीश से ‘बहाना’ छीनने की कवायद या I.N.D.I.A. है एकजुट?
नीतीश की एक ही मांग, जल्द हो सीट शेयरिंग
दरअसल, बैठक में बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार नाखुश दिखे। मिली जानकारी के अनुसार अपनी इस नाखुशी को नीतीश कुमार ने मीटिंग में मौजूद नेताओं से शेयर भी किया। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें सीट शेयरिंग से मतलब है, किसी पद की लालसा उन्हें नहीं है। इसके बाद मीटिंग से बाहर निकलने के बाद नीतीश कुमार के करीबी नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने साफ कर दिया कि मीटिंग में सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई। साथ ही संजय झा ने यह भी कहा कि मीटिंग के बाद जदयू अपनी अगली रणनीति अपने नेताओं से बैठक के बाद सार्वजनिक करेगा।
संजय झा के इस बयान के बाद कई तरह की कयासबाजी शुरू हो गई हैं। चूंकि नीतीश कुमार और जदयू का साफ कहना है कि बिना सीट शेयरिंग कोई काम नहीं हो सकता है। नीतीश कुमार बार बार सीट शेयरिंग तय कर जमीन पर काम करने की बात कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस अभी सीट शेयरिंग को लगातार टाल रही है। ऐसे में इस पांचवी बैठक में भी सीटों पर बात नहीं होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अब I.N.D.I.A. छोड़ने का भी फैसला ले सकते हैं। क्योंकि उनकी स्ट्रेटजी से यह प्रतीत होता रहा है कि वे अपनी सीटों को तय कर चुनाव प्रचार मोड में जाना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस की देरी उन्हें बांध रही है। I.N.D.I.A. छोड़ने का फैसला अगर नीतीश कुमार लेते हैं तो यह भी तय हो जाएगा कि बिहार में सरकार नहीं बचेगी और तब संभावना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हो सकते हैं।
हालांकि यह सबकुछ नीतीश कुमार के धैर्य और निर्णयों पर डिपेंड करेगा क्योंकि चुनाव साथ होने की शर्त तभी पूरी हो सकती है जब बिहार में मौजूदा महागठबंधन बिखरे।