लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों ने गठबंधन तो बना लिया है, लेकिन इसमें जुड़े दल गांठों को खोलने में असफल हो रहे हैं। सीट शेयरिंग ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस से लेकर तमाम दल अब वक्त लेते ही जा रहे हैं। जदयू जैसे दलों को तुरंत सीट शेयरिंग चाहिए। तो दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपने हिसाब से वक्त ले रही है। इस बीच जदयू के एक कदम ने लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का दबाव बढ़ाने के साथ खटास की आशंका भी ला दी है। जदयू ने दो लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है।
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लोकसभा चुनाव के लिए जदयू ने उतारा उम्मीदवार
जदयू ने अरुणाचल प्रदेश की एक सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। अरुणाचल पश्चिम सीट पर जदयू ने रूही तांगुंग को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। बिना विपक्षी गठबंधन दलों से सलाह किए जदयू के इस फैसले ने नई राजनीतिक चर्चा शुरू कर दी है। चर्चा यह हो रही है कि क्या जदयू को अब कांग्रेस का इंतजार नहीं करना है। क्योंकि अरुणाचल पश्चिम की जिस सीट से जदयू ने उम्मीदवार उतारा है, वहां से सांसद किरेन रिजिजू हैं, जो भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्र में मंत्री हैं।
जदयू से नहीं, कांग्रेस-भाजपा में रही है सीधी टक्कर
अरुणाचल पश्चिम की सीट पर जदयू किसी तरह सीन में नहीं रहा है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर रही है। 2004 के लोकसभा चुनाव में किरेन रिजिजू पहली बार सांसद बने थे। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में 1314 वोट से भाजपा के रिजिजू को कांग्रेस के तकम संजय ने हरा दिया। इसके बाद 2014 और 2019 में वापस रिजिजू ही सांसद हैं। इस सीट पर 1977 से अब तक 12 चुनाव हुए हैं, इसमें 7 चुनावों में कांग्रेस ही जीती है।
सीतामढ़ी में भी जदयू ने उतार दिया है उम्मीदवार
अरुणाचल प्रदेश से पहले ही जदयू ने सीतामढ़ी सीट पर देवेश चंद्र ठाकुर को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस उम्मीदवारी पर भी गठबंधन की बैठकों में तो कोई बात नहीं हुई। लेकिन जदयू ने अपनी बैठक में यह तय कर लिया और देवेश चंद्र ठाकुर ने अपना जनसम्पर्क शुरू कर दिया।
जदयू की उम्मीदवार घोषित करने की यह तेजी अब गठबंधन की सेहत पर प्रभाव डाल सकती है। क्योंकि सीतामढ़ी सीट पर लालू यादव से नीतीश कुमार की बात हुई थी, ऐसा देवेश चंद्र ठाकुर ने दावा किया था। लेकिन अरुणाचल पश्चिम सीट पर कांग्रेस से तो कोई बात नहीं हुई है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ही दूसरे नंबर पर थी। ऐसे में 2024 में कांग्रेस यह सीट छोड़ देगी, इस पर बिना कुछ तय हुए जदयू द्वारा उम्मीदवार की घोषणा नया राजनीतिक बवाल खड़ा कर सकती है। हालांकि आगे क्या होगा, यह अभी देखने वाली बात है।