हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपने ही गठबंधन, एनडीए, के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मांझी ने आरोप लगाया कि एनडीए में उनकी पार्टी को तवज्जो नहीं दी जा रही है। मंगलवार को मुंगेर के जमालपुर में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में मांझी ने कहा, “हमें झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी गई। अब वक्त आ गया है कि हमें अपना वजूद दिखाना पड़ेगा। लगता है कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ेगा।”
बिहार में 20 सीटों की मांग
जीतन राम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए 20 सीटों की मांग की है। उन्होंने कहा कि एनडीए अगर उनकी पार्टी को हल्के में लेता है, तो इसका खामियाजा गठबंधन को उठाना पड़ेगा। मांझी ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांग पूरी होती है, तो उनकी पार्टी पेंशनधारकों की पेंशन में 2000 रुपये की वृद्धि और पढ़े-लिखे बेरोजगारों को 5000 रुपये का नियोजित भत्ता दिलवाने का वादा करती है।
मांझी के बयानों से बढ़ा सियासी तापमान
मांझी ने अपने बयानों से एनडीए में हलचल मचा दी है। 16 जनवरी को जहानाबाद में मांझी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में उन्हें 20 सीटें चाहिए।19 जनवरी को मांझी ने एनडीए पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड और दिल्ली में उनकी पार्टी की अनदेखी हुई। 21 जनवरी को मुंगेर के जमालपुर में मांझी ने कहा कि एनडीए में उनकी पार्टी को उनकी “औकात” के अनुसार सीटें नहीं दी जा रहीं।
पार्टी अध्यक्ष की सफाई
जीतन राम मांझी के बयानों के बाद उनके बेटे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने कहा, “हम एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि मांझी का बयान कार्यकर्ताओं की भावनाओं को व्यक्त करता है, लेकिन गठबंधन में उनकी पार्टी को सम्मान दिया जा रहा है।
तेजस्वी यादव पर हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए मांझी ने कहा, “जब तेजस्वी यादव और उनके माता-पिता सत्ता में थे, तब उन्हें गरीबों और महिलाओं की याद नहीं आई। अब वे सिर्फ जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं।”
मांझी का अगला कदम क्या होगा?
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर मांझी के तीखे तेवर ने बिहार की राजनीति में नए सियासी समीकरणों की अटकलें तेज कर दी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए नेतृत्व मांझी की इन मांगों और आरोपों पर क्या रुख अपनाता है।