मणिपुर में हिंसा की आग फिर से तेज हो गई है। दरअसल, शनिवार रात को उग्र भीड़ ने इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में तीन भाजपा विधायकों और एक कांग्रेस विधायक के घरों में आग लगा दी। उग्र भीड़ ने सीएम एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर भी हमले की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी गई। जिससे लोगों का गुस्सा भड़क गया आक्रोशित लोगों ने शनिवार को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों पर हमला कर दिया। इसके बाद अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया।
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मणिपुर के हालात पर राजद नेत्री रोहिणी आचार्य ने केंद्र सरकार और राज्य की सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि पिछले डेढ़ सालों से मणिपुर में अराजकता की स्थिति बरक़रार है। जारी हिंसा को रोकने में प्रदेश की सरकार और स्टेट मशीनरीज पूरी तरह से विफल हैं। हिंसक वारदातों, सुरक्षा-बलों, सरकारी प्रतिष्ठानों, रिहायशी इलाकों पर हमलों का सिलसिला अनवरत जारी है। सैंकड़ों लोगों की जानें गयीं हैं। महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाए जाने की दर्जनों वीभत्स वारदातें हुईं हैं। सामूहिक बलात्कार की अनेकों घटनाओं को अंजाम दिया गया है। ड्रोन का इस्तेमाल कर बमबारी को अंजाम दिया गया है।
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ऐसी भयावह स्थिति की वजह से देश के अन्य हिस्सों से पूर्वोत्तर का ये राज्य एक तरह से कट गया है। केंद्र की भाजपा नीत सरकार की अनदेखी, प्रधानमंत्री-गृह मंत्री द्वारा जानबूझ कर की गयी उपेक्षा और राज्य की भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री के नक्कारेपन की वजह से आज मणिपुर ‘फेल्ड-स्टेट’ की कटैगरी में आने को विवश है। पूरी दुनिया में मणिपुर को लेकर देश की किरकिरी हुई। बावजूद इसके न तो प्रधानमंत्री जी को इससे कोई फर्क पड़ा और ना ही देश के सत्ताधारी गठबंधन के किसी दल को।
मणिपुर को ऐसी अराजक स्थिति में झोंकने के लिए पूरी तरह से केंद्र की सरकार जिम्मेदार है और साथ ही केंद्र की सरकार द्वारा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाए जाने पर बड़ा सवालिया निशान है। मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रवैया से तो ऐसा प्रतीत होता है कि कई मायनों में देश का ये अहम राज्य देश का हिस्सा ही नहीं है।