उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर ‘ नेमप्लेट’ लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश में साफ है कि हर हाल में दुकानों पर संचालक मालिक का नाम लिखा होना चाहिए। इसके पीछे का तर्क यह है कि कांवड़ यात्रियों के आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन इस फैसले के बाद देश भर में बवाल उठ गया है। बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि “यह माइंडलेस एक्सरसाइज है। गेहूं की बालियों से पूछोगे कि हिंदू का है मुसलमान का। पानी की टंकियों का केयरटेकर कौन है? क्या क्या बांटोगे? डेयरी से बिकने वाला दूध हिंदू का है या मुसलमान का, यह भी पूछोगे क्या?
मनोज झा ने आगे कहा कि “मैं महाकाल मंदिर गया था। वहां मैंने महाकाल की एक तस्वीर खरीदी। पता चला कि बेचने वाला मुसलमान था। तो इसमें दिक्कत क्या है?” इसके बाद मनोज झा ने नोएडा के अपने किसी मित्र के एक किस्से का हवाला देते हुए कहा कि “नोएडा में मेरे एक मित्र को मूर्ति स्थापित करनी थी। वे एक मिश्रा जी के पास गए तो उन्हें महंगी कीमत बताई गई। जबकि नासिर ने मिश्रा जी के रेट से 40 प्रतिशत कम में मूर्ति बना दी।”
मनोज झा ने कहा कि “इस देश के मिजाज से न खेला जाए। क्या सब्जियों से पूछा जाएगा कि किसने उगाया? प्रधानमंत्री की चुप्पी यह कहती है कि वे शरीक-ए-गुनाह हैं।” उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के जुलूस में शरबत और मेवा बांटते हैं। लेकिन यूपी सरकार का यह फैसला वहशीपने का दौर है।
दूसरी ओर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्ग पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। प्रतिक्रिया में हरीश रावत ने कहा है कि “यह एक निंदनीय फैसला है। आजादी के तुरंत बाद जो अस्पृश्यता समाप्त कर दी गई थी, उसे दूसरे रूप में वापस लाया जा रहा है। यूपी और उत्तराखंड सरकार को यह आदेश वापस लेना चाहिए।”