बिहार में बड़ी राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। एक तरफ I.N.D.I.A. की बैठक में संयोजक के नाम पर चर्चा हुई तो नीतीश कुमार ने इस पद को लेने इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से दिया गया। लेकिन नीतीश कुमार ने बिना पद ही रहने की बात कहकर लालू यादव को संयोजक बनाने का प्रस्ताव दे दिया। दूसरी ओर जिस वक्त नीतीश कुमार और विपक्षी गठबंधन के दूसरे नेता वर्चुअल मीटिंग कर रहे थे, उसी वक्त नीतीश कुमार के खासमखास मंत्री दिल्ली रवाना हुए। मंत्री की अचानक रवानगी ने बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।
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सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार की कैबिनेट में भवन निर्माण मंत्री डॉ. अशोक चौधरी को अचानक दिल्ली भेजा गया है। अशोक चौधरी का दिल्ली जाना बड़ी बात नहीं है लेकिन फ्लाइट की पिछली सीट पर बैठ कर दिल्ली जाना बड़ी बात है। एक ओर नीतीश कुमार का विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनने से इनकार करना और दूसरी ओर उनके खास मंत्री अशोक चौधरी का दिल्ली जाना, नई राजनीतिक सरगर्मियों को हवा दे रहा है।
दरअसल, कई जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन में सहज नहीं हैं। वे बाहर निकलना चाहते हैं। लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल रहा है। हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने ऐसे मौके दिए हैं, जिससे इन चर्चाओं को बल मिला है कि नीतीश कुमार गठबंधन से निकलना चाहते हैं। नीतीश कुमार को जानने वाले जानते हैं कि जैसे ही नीतीश कुमार का मनमुटाव होता है, वे दूरी बना लेते हैं। 2022 में भाजपा से मनमुटाव होने लगा तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह जैसे नेताओं से दूरी बना ली। लेकिन 2023 में हालात वैसे नहीं रहे। नीति आयोग, सुरक्षा परिषद जैसी बैठकों से किनारा करने वाले नीतीश जी20 डिनर में शामिल हुए, पीएम से मिले। गृह विभाग अपने पास रखते हुए भी केंद्रीय गृह विभाग की बैठक में पहले तेजस्वी यादव को भेजा लेकिन अगली बैठक में खुद शामिल होकर नीतीश कुमार ने अमित शाह से मुलाकात की। ऐसे में अशोक चौधरी के अचानक दिल्ली जाने को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।