लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर I.N.D.I.A. में शामिल दल बैठक कर रहे हैं। इस बैठक से पहले I.N.D.I.A. की चार बैठकें हो चुकी हैं। यह बैठक वर्चुअल मोड में होनी है। बैठक में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एम.के स्टालिन, नीतीश कुमार समेत 14 पार्टियों को नेता हिस्सा ले सकते हैं। वैसे तो सीट शेयरिंग के मुद्दे पर विपक्षी दलों की एकता में फूट पड़ने के संकेत पहले से दिख रहे हैं। इसके बावजूद इस बैठक में भी सीट शेयरिंग का मुद्दा शायद ही सुलझे। बैठक के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चर्चा यह है कि इसमें नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाया जा सकता है। जबकि गठबंधन के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दी जा सकती है। तो क्या यह बैठक सिर्फ इन्हीं दो फैसलों के लिए हो रही है? या फिर इस बैठक का मकसद I.N.D.I.A. से बाहर निकलने की नीतीश के बहाने को खत्म करना है? या फिर सब एकजुट हैं और भाजपा से लड़ने के लिए रणनीति पर विचार के लिए यह बैठक बुलाई गई है। चूंकि बैठक का एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है, तो चर्चा हर संभावना पर हो रही है।
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नीतीश I.N.D.I.A. के कितने पास, कितने दूर?
I.N.D.I.A. में शामिल दलों में नीतीश कुमार ऐसे नेताओं में शामिल हैं, जो सीट शेयरिंग नहीं हो पाने के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। पहले सीपीआई की रैली में नीतीश कुमार ने कहा। तो बाद में उनकी पार्टी के नेताओं अशोक चौधरी, विजय चौधरी, केसी त्यागी ने अलग अलग वक्त में यही बात दुहराई कि कांग्रेस देर कर रही है। नीतीश की पार्टी का इस रवैए पर यह भी चर्चा होने लगी है कि कहीं नीतीश कुमार I.N.D.I.A. से बाहर निकलने का बहाना तो नहीं ढूंढ़ रहे। क्योंकि हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने ऐसे मौके दिए हैं, जिससे इन चर्चाओं को बल मिले।
I.N.D.I.A. से नीतीश की दूरी की संभावनाओं पर चर्चा क्योंकि
नीतीश कुमार को जानने वाले जानते हैं कि जैसे ही नीतीश कुमार का मनमुटाव होता है, वे दूरी बना लेते हैं। 2022 में भाजपा से मनमुटाव होने लगा तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह जैसे नेताओं से दूरी बना ली। लेकिन 2023 में हालात वैसे नहीं रहे। नीति आयोग, सुरक्षा परिषद जैसी बैठकों से किनारा करने वाले नीतीश जी20 डिनर में शामिल हुए, पीएम से मिले। गृह विभाग अपने पास रखते हुए भी केंद्रीय गृह विभाग की बैठक में पहले तेजस्वी यादव को भेजा लेकिन अगली बैठक में खुद शामिल होकर नीतीश कुमार ने अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा नीतीश कुमार ने अपने प्रिय अधिकारी व बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के एक्सटेंशन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। बताया जा रहा है कि केंद्र से संबंध बेहतर नहीं होते तो वे ऐसा प्रस्ताव नहीं भेजते। क्योंकि नीतीश कुमार रिजेक्शन बर्दाश्त करने वालों में से नहीं हैं। अभी हाल ही एक मामला महाराष्ट्र में आया जब वहां के चीफ सेक्रेटरी मनोज सौनिक का एक्सटेंशन केंद्र सरकार ने अप्रूव नहीं किया। ऐसे में बिहार के चीफ सेक्रेटरी का एक्सटेंशन रिक्वेस्ट भेजकर रिजेक्ट करवाने की फजीहत झेलने का खतरा नीतीश कुमार उठाएंगे, इसकी उम्मीद उन्हें जानने वालों को नहीं है।
साथी बदलने के लिए अध्यक्ष बदलने की पुरानी आदत
नीतीश कुमार I.N.D.I.A. से दूर जा सकते हैं, ऐसी कयासबाजी इसलिए भी लगाई जा रही है क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बदला है। 2015 में राजद और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद जब महागठबंधन से दुराव होने लगा, तो साथी बदलने से पहले उन्होंने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से शरद यादव को हटा दिया और खुद बन गए। अप्रैल 2016 में शरद हटे और जुलाई 2017 में नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ हो गए। 2022 में भाजपा से अलग होने से पहले भी उन्होंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद में बदलाव किया। 6 जुलाई 2022 को आरसीपी सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। अगस्त 2022 में जदयू ने भाजपा का साथ छोड़ राजद से हाथ मिला लिया। अब चूंकि दिसंबर 2023 में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह ने इस्तीफा दिया और नीतीश कुमार अध्यक्ष चुने गए। तो एक बार फिर उनके साथी बदलने की संभावनाओं पर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि नीतीश साथी बदलेंगे या I.N.D.I.A. के साथ चलेंगे यह आने वाला वक्त बताएगा। क्योंकि संयोजक पद के लिए जितनी किचकिच मची है, उसके बाद अगर नीतीश ने साथी बदलने का मन बना लिया होगा तो संयोजक पद भी उन्हें रोक पाएगा, ऐसा कहना मुश्किल ही है।