बिहार में लंबी पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर ने चुनावी राजनीति में दस्तक देने का फैसला ले लिया है। 2025 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को चुनौती देने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर ली है। प्रशांत किशोर के निशाने पर एनडीए और महागठबंधन है। बापू सभागार में भीड़ जुटा कर प्रशांत किशोर ने राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के अंदर अपनी भूमिका तय कर दी है।
दरअसल, पटना के बापू सभागार में रविवार 28 जुलाई को जन सुराज की सभा की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रदेश भर से लोग जुटे थे। इस कार्यक्रम में बिहार के बड़े-बड़े चेहरों ने अभियान से जुड़ने का ऐलान किया। इनमें राजद और जदयू के पूर्व विधायक के अलावा चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा और कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉक्टर जागृति भी शामिल है। सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने घोषणा किया कि वो पार्टी में किसी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे।
जन सुराज के संस्थापक और पदयात्रा अभियान के प्रणेता प्रशांत किशोर ने कहा कि वे जन सुराज के न तो नेता थे और न आगे रहेंगे। वे गांव से सही लोगों को चुन रहे हैं और उसी सही लोगों के बीच से बिहार का नेता, सभी कार्यकर्ताओं की सहमति से बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार में 2029 नहीं 2025 में सरकार बनाएंगे और तब नए बिहार के निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज पूरी तरह जनतांत्रिक व्यवस्था से अपने नेता का चुनाव करेगा। जन सुराज के अध्यक्ष की कार्यावधि 1 साल की होगी। बारी-बारी से सभी वर्गों जिसमें दलित, मुस्लिम,अति पिछड़ा, पिछड़ा और सवर्ण जातियां शामिल है, उनको प्रदेश का नेतृत्व सौंपा जाएगा। यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि समाज में सबसे पिछड़ा, अशिक्षित और कमजोर वर्ग दलित समाज है इसलिए पहला प्रदेश अध्यक्ष दलित समाज से बनाया जाएगा।