सरकारी कर्मी के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रमोशन देने के मानदंडों का संविधान में कहीं जिक्र नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार और कार्यपालिका प्रमोशन के मानदंडों को तय करने के लिए स्वतंत्र है। भारत में कोई भी सरकारी कर्मचारी प्रमोशन को अपना अधिकार नहीं मान सकता है, क्योंकि संविधान में इसके लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं किया गया है।
251 सभाएं, 160 से अधिक नॉन-स्क्रिप्टेड इंटरव्यू… 2024 चुनावी अभियान के योद्धा तेजस्वी यादव
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में जिला जज के सेलेक्शन से जुड़े एक मामले को निपटाते हुए सरकारी नौकरी में प्रमोशन के अधिकार पर महत्वपूर्ण फैसला दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायिका या कार्यपालिका रोजगार की प्रकृति और उम्मीदवार से अपेक्षित कार्यों के आधार पर प्रमोशन पर रिक्तियों को भरने की विधि तय कर सकती है न्यायपालिका यह तय नहीं कर सकती कि प्रमोशन के लिए अपनाई गई नीति सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों के चयन के लिए उपयुक्त है या नहीं।
सरकारी कर्मचारियों को किस आधार पर प्रमोशन दिया जाए, इसको लेकर हमारा संविधान साइलेंट है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि विधायिका और कार्यपालिका प्रमोशनल पोस्ट की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसको लेकर नियम बनाने के लिए स्वतंत्र है। सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘भारत में सरकारी कर्मचारी को प्रमोशन को अधिकार के तौर पर जताने का अधिकार नहीं है। संविधान प्रमोशनल पोस्ट को भरने के लिए क्राइटेरिया का उल्लेख नहीं करता है।