Rajgir Vidhansabha 2025: राजगीर विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 173) बिहार की उन सीटों में से एक है, जो हमेशा से राजनीतिक दलों की रणनीति का अहम केंद्र रही है। नालंदा जिले में आने वाली यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है और यहां का चुनावी इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1957 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2020 तक इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और जेडीयू ने बारी-बारी से अपना दबदबा बनाया है।
चुनावी इतिहास
1957 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन 1967 में जनसंघ ने कब्जा जमाया। 1972 में सीपीआई के चंद्रदेव प्रसाद हिमांशु यहां से विजयी हुए। इसके बाद 1980 में बीजेपी ने इस सीट पर झंडा गाड़ा और सत्यदेव नारायण आर्य लगातार विधायक बने। 2005 के बाद जब जेडीयू और बीजेपी साथ आए तो यह सीट एनडीए के खाते में मजबूती से आ गई।
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2015 का चुनाव इस सीट के लिए बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, जब जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट गया। उस चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार रवि ज्योति कुमार ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यदेव नारायण यादव को 5390 वोटों से हराकर सीट पर कब्जा कर लिया। हालांकि, 2020 के चुनाव में एक बार फिर समीकरण बदले। जेडीयू और बीजेपी गठबंधन में आए और जेडीयू के कौशल किशोर ने कांग्रेस प्रत्याशी बने रवि ज्योति कुमार को 16048 वोटों के अंतर से हराया।
जातीय समीकरण
राजगीर विधानसभा का जातीय गणित भी हमेशा से यहां की राजनीति की दिशा तय करता रहा है। यादव और कुर्मी मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा राजपूत, भूमिहार और मुस्लिम समुदाय की भी मजबूत उपस्थिति है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राजगीर की आबादी 4,12,522 है, जिसमें 83.7% लोग ग्रामीण इलाकों में और 16.3% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 25.15% और अनुसूचित जनजातियों की 0.07% है।
2025 के विधानसभा चुनाव में यहां मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है। कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों का गठबंधन जहां जातीय समीकरण साधने की कोशिश करेगा, वहीं एनडीए इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए जातीय और विकास दोनों मुद्दों पर जनता को साधने का प्रयास करेगा। नीतीश कुमार की सरकार की नीतियों और केंद्र की योजनाओं का असर भी यहां के मतदाताओं के फैसले पर देखने को मिल सकता है।
अगर ऐतिहासिक नजरिए से देखा जाए तो राजगीर सीट पर सत्ता का पलड़ा बार-बार बदलता रहा है। ऐसे में 2025 का चुनाव तय करेगा कि क्या जेडीयू-बीजेपी गठबंधन अपनी जीत की लय को बरकरार रख पाएगा या विपक्षी महागठबंधन यहां नई कहानी लिखेगा।






















