दरभंगा घराने के पद्मश्री पंडित रामकुमार मल्लिक (73) का निधन हो गया, उनका निधन उनके पैतृक ग्राम आमता में हृदय गति रुक जाने से हुई। वे पंडित विदुर मल्लिक के पुत्र व शिष्य थे। पंडित रामकुमार मल्लिक को 2024 में पद्मश्री अलंकरण से नवाजा गया था। उनके उत्कृष्ट संगीत और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पहले भी सम्मानित किया जा चुका है। श्री मल्लिक का जन्म 1957 दरभंगा के बहेड़ी प्रखंड के अमता गांव में हुआ था।
पंडित रामकुमार मल्लिक अमता घराने (परंपरा) के प्रतिष्ठित संगीत परिवार से आते थे। वह अपने परिवार के संगीत पीढ़ी को बढ़ाने वाले 12वीं पीढ़ी हैं। रामकुमार मलिक ने ध्रुपद संगीत अपने पिता और विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लीजेंड पंडित विदुर मलिक से विरासत में मिला है। पंडित मल्लिक अपने दादा लेफ्टिनेंट पंडित सुखदेव मल्लिक ध्रुपद भी सीखने का अवसर मिला। वह अपना प्रथम गुरु अपने दादा सुखदेव मलिक को बताते हैं, वे सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक भी हैं।
मल्लिक को ध्रुपद संगीत की कई रचनाओं की जानकारी प्राप्त है। उनके गायन अद्वितीय, समृद्ध रचनाओं के भंडार, खंडारवानी और गौरहरवानी के अलावा मीर, गमक, लयकारी और तिहायियों की विविधता के लिए जाना जाता है। उनके गायन में ध्रुपद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सबसे प्राचीन और शक्तिशाली शैली है। जो आध्यात्मिक युग (अध्यात्म काल) से जुड़ी है। ध्रुपद संगीत एक दिव्य साधना है, जिसे इसकी प्रस्तुति के साथ-साथ संगीत साधना में भी महसूस किया जा सकता है।