अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से चल रहा है। राम मंदिर तीन चरणों में बनाया जा रहा है। तीनों चरणों के निर्माण की डेडलाइन तय है। योजना तैयार कर काम पूरा कराया जा रहा है। प्रथम चरण के तहत हुए निर्माण को पूरा कर लिया गया है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि परिसर पर भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी। राम मंदिर आस्था के साथ-साथ देश की राजनीति का केंद्रविंदु भी रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले होने जा रहे इस भव्य आयोजन पर हर किसी की नजर टिक गई है। ऐसे में अगले 30 दिनों तक राम मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण तत्वों को रखेंगे। मंदिर निर्माण की प्रक्रिया से लेकर बाबरी मस्जिद के विध्वंश तक की कहानियों को विस्तार से जानेंगे। जुड़े रहिए हमारे साथ।
सुप्रीम कोर्ट का वह ऐतिहासिक आदेश
श्रीराम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश 9 नवंबर 2019 को आया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद अयोध्या में मंदिर- मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया। करीब 100 सालों से अधिक समय से चले रहे इस विवाद पर तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में बैठी संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया। संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवादित जमीन पर हिंदुओं का हक है। इसके साथ ही सरकार को यह भी आदेश दिया गया कि मुस्लिम पक्ष को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाए। इस फैसले के बाद भी कई पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
यहां यह साफ कर देना जरूरी है कि पांच जजों की सहमति से जन्मभूमि विवाद पर फैसला सुनाया गया था। फैसले में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में लिखा है कि नीचे मंदिर था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आदेश में कहा कि एएसआई ने भी विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। हिंदू अयोध्या को राम जन्मस्थल मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी। पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे। इस आदेश के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए।
आदेश के बाद रामलला के मंदिर का निर्माण
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लगातार मंदिर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। ग्राउंड फ्लोर बनकर तैयार है। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। राम मंदिर ने हमेशा भारत की राजनीति को प्रभावित किया है। राम मंदिर की लड़ाई कर पुराना इतिहास रहा है। इस मंदिर को लेकर कई बाद आंदोलन हुए। इसके बाद अब यह मंदिर अपने आकार में आया है। इस मंदिर को लेकर हजारों कारसेवकों का खून अयोध्या की सड़कों पर बहा। मंदिर में बंगाल के उन कोठारी बंधुओं के योगदान को कौन भूल सकता है। बहरहाल, हम इस भव्य मंदिर निर्माण के पीछे की सभी कहानियों को आने वाले दिनों में जानेंगे।
ट्रस्ट का निर्माण, मंदिर निर्माण शुरू
राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि परिसर की पूरी जमीन को एक ट्रस्ट के हवाले करने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि केंद्र सरकार ट्रस्ट का निर्माण करेगी। ट्रस्ट के तहत मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का निर्माण किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास बनाए गए। विश्व हिंदू परिषद से चंपत राय को महासचिव बनाया गया। ट्रस्ट में 15 सदस्य रखे गए हैं। ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में राम मंदिर निर्माण कमिटी का गठन किया। राम मंदिर निर्माण कमेटी ने लगातार समीक्षाओं के जरिए मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
22 जनवरी 2024 को मंदिर निर्माण के प्रथम चरण का कार्य पूरा होने के बाद रामलाल को अपने भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा। रामलला के नए मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरदार तरीके से चल रही है। राम मंदिर में रामलला को विराजमान किए जाने के साथ-साथ उनके विग्रह यानी एक मूर्ति को भी स्थापित किया जाएगा। इसके लिए अयोध्या में तीन स्थानों पर मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। इन सभी प्रक्रियाओं को 22 जनवरी 2024 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। वहीं, कार्यक्रम में देश भर से भक्तों को आमंत्रित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।