[Team insider] राज्य में लगातार 1932 के खतियान को लागू करने को लेकर लगातार लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जगह जगह पर लोग धरना देकर इसका विरोध जता रहे हैं। बता दें कि झारखंड में भाषा विवाद से शुरू हुआ आंदोलन अब 1932 के खतियान को लागू करने तक पहुंच गया है। वहीं राजधानी रांची के राजभवन के सामने भी धनबाद और बोकारो से पैदल चलकर सैकड़ों युवक बुधवार को पहुंचे थे। सभी लोग झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे है। सभी लोग राज भवन के सामने सड़क पर बैठे हुए है। इससे पहले भी एक दल दो से तीन दिनों तक 3 दिन से लगातार धरना पर बैठे हैं।
सरकार के कोई भी अधिकारी, मंत्री अभी तक नहीं पहुंचे
वहीं रविवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ विधायक लोबिन हेंब्रम भी सड़क पर उतरे और धरना पर बैठे दल को संबोधित किया। हालांकि 25 फरवरी से 25 मार्च तक चल रहे बजट सत्र में भी उन्होंने 1932 के खतियान को लागू करने को लेकर बात रखी थी। वहीं आज उन्होंने कहा कि 2-3 दिन पहले ही हमें मालूम हुई, हमारे झारखंडी भाई अपनी पहचान, अस्मिता और अधिकार लेने के लिए लोग पैदल चलकर आए हैं और धरना पर बैठे हैं। अभी तक सरकार के कोई भी अधिकारी, मंत्री अभी तक नहीं पहुंचे हैं।
अपनी अस्मिता को बचाने के लिए हमको भीख मांगना पड़ रहा है
आज अपना अधिकार, अपनी संस्कृति को बचाने के लिए अपनी अस्मिता को बचाने के लिए हमको भीख मांगना पड़ रहा है। आज अपनी संस्कृति को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों चांद-भैरव, तिलकामांझी, बिरसा भगवान, शेख भिखारी, बुधु भगत कई ऐसे नेताओं और पूर्वजों ने अंग्रेजों के साथ लोहा लिया था और उसी का परिणाम है। जिसमें एसपीटी और सीएनटी कानून बना। यहां के मूलवासी और आदिवासियों का बहुत बड़ा कवच है, लेकिन सीएनटी एसपीटी एक्ट और सीएनटी एक्ट कानून सशक्त होने के बाद भी हमारी जमीन ओने पौने दाम पर बिक्री हो रही है।
बाहर से आने वाले लोग नौकरी लूट रहे हैं
आज हमारे भाषा पर अतिक्रमण हो रहा है। इसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। अस्मिता और संस्कृति बचाने के लिए अंग्रेजो के खिलाफ हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी थी और हमें लगता है कि हमारे जमीन और भाषा को बचाने के लिए हमें फिर से फिर से आगे बढ़ाना होगा। मरता क्या नहीं करता। मैं मांग कर रहा हूं, क्या हमारी मांगे झूठी है। क्या यह हम नजायज मांग कर रहे हैं। बहुत दुख लगता है। कहां जाएंगे हम लोग। आज यहां पर जमीन लूटा जा रहा है। यहां बाहर से आने वाले लोग नौकरी लूट रहे हैं।