भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) रंजन सिन्हा ने अपनी मेहनत और प्रतिभा का एक और बड़ा उदाहरण पेश करते हुए अयोध्या भोजपुरी सिने अवार्ड 2025 में बेस्ट पीआरओ का अवार्ड जीता। यह सम्मान उन्हें भोजपुरी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट प्रचार-प्रसार कार्य और इंडस्ट्री के प्रति उनकी अद्वितीय प्रतिबद्धता के लिए दिया गया।
भोजपुरी इंडस्ट्री में ‘ब्रांड’ बने रंजन सिन्हा
रंजन सिन्हा ने इस अवार्ड को चौथी बार अपने नाम कर भोजपुरी इंडस्ट्री में अपनी पहचान और भी मजबूत कर ली है। 20 वर्षों से अधिक के अपने करियर में उन्होंने 800 से अधिक फिल्मों और 4000 से अधिक गानों का प्रचार-प्रसार किया है। उनके इस योगदान ने उन्हें भोजपुरी सिनेमा का सबसे भरोसेमंद और सम्मानित पीआरओ बना दिया है।
सफलता की कहानी: बिहार के छोटे गांव से बॉलीवुड तक
बिहार के वैशाली जिले के छोटे से गांव बिरना लखन सेन से मुंबई तक का सफर रंजन सिन्हा के लिए आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत, ईमानदारी और समर्पण से यह मुकाम हासिल किया। आज वे भोजपुरी के मेगा स्टार्स जैसे मनोज तिवारी, रवि किशन, पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, अक्षरा सिंह, और प्रदीप पांडे चिंटू के साथ-साथ साउथ और बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी पीआर कार्य कर रहे हैं।
रंजन सिन्हा की प्रतिक्रिया
अवार्ड मिलने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए रंजन सिन्हा ने कहा, “यह सम्मान उन सभी का है जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और मुझे अपनी फिल्मों के प्रचार-प्रसार का अवसर दिया। यह अवार्ड मेरे प्रयासों की पहचान है, और मैं इसे भोजपुरी इंडस्ट्री को समर्पित करता हूं।”
भोजपुरी से परे योगदान
भोजपुरी सिनेमा के अलावा रंजन सिन्हा ने बिहार सरकार के कई सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों में भी पीआर का कार्य किया है। इनमें प्रकाश पर्व, गांधी पैनोरमा फिल्म फेस्टिवल, बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव जैसे बड़े आयोजन शामिल हैं। इसके साथ ही, वे कई प्रमुख म्यूजिक चैनलों के पीआर कार्य भी सफलता पूर्वक संभाल रहे हैं।
भविष्य के लिए प्रेरणा
रंजन सिन्हा का मानना है कि काम ही उनका जुनून है और वे इसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते रहेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे लिए हर प्रोजेक्ट खास है। मेरा उद्देश्य इसे अपनी मंजिल तक ले जाना और अपने काम से भोजपुरी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।”
भोजपुरी सिनेमा में योगदान
रंजन सिन्हा ने भोजपुरी इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी है। उनकी सफलता न केवल उनकी मेहनत की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समर्पण और लगन के बल पर कोई भी शिखर हासिल किया जा सकता है। आज वे केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक ब्रांड बन चुके हैं। भोजपुरी सिनेमा के ‘पीआरओ किंग’ के रूप में उनकी पहचान आने वाले वर्षों में और भी मजबूत होगी, और उनकी यह सफलता इंडस्ट्री के लिए प्रेरणा का काम करेगी।