सिने अभिनेता पद्मश्री मनोज बाजपेयी रविवार को अपने गांव बेलवा से पटना के लिए रवाना हो गए। घर से निकलते वक्त भावुक होते उन्होंने कहा कि माई-बाबूजी के प्रयासों, बलिदानों, नि:स्वार्थ प्रेम और कड़ी मेहनत ने हम तीनों भाइयों बनाया है। माई-बाबूजी हर वक्त एक मजबूत सहारे के रूप में खड़े रहते थे। आंख में आंसू लिए हुए उन्होंने कहा कि मेरी मां ने संघर्ष के दिनों में अटूट समर्थन देकर मुझे कभी हार ना मानने की ताकत दी। उन्होंने मुझे सबसे कठिन समय का सामना करते हुए कभी हार ना मानने और आखिरी वक्त तक लड़ने का मूल्य सिखाया। बेलवा की यादें दुनिया के किसी भी कोने में रहे हमेशा दिल में बसा कर रखेंगे। इसी धरती ने पहचान दिलाई है। निकलते वक्त धरती को छूकर प्रणाम किया।
घर से निकलते समय अनुज सरोज बाजपेयी, सुजीत बाजपेयी गले मिलकर भावुक हो गए। मौके पर भितिहरवा आश्रम जीवन कौशल ट्रस्ट के अध्यक्ष शैलेंद्र प्रताप सिंह, शिक्षाविद ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी, दीपेंद्र बाजपेयी, टूरिज्म प्रबंधक विवेक बादल, गोलू सिंह, विजयनंदन, विवेक राज, गोपी यादव आदि सहित सैकड़ों नागरिक उपस्थित थे।
उन्होंने गुलमोहर फिल्म के बारे में बताया कि गुलमोहर की कहानी बेटे और मां की बनते बिगड़ते रिश्तो की है। सभी परिवार सुकून के साथ बैठ के इस फिल्म का आनंद उठावे। जब भी कोई फिल्म करता हूं तो सबसे पहले इस स्क्रिप्ट को देखता हूं उसके बाद किरदार का चुनाव करता हूं। गुलमोहर मेरे जीवन के उम्मीदा फिल्मों में से एक है गला भी भरेगा, आसू भी आएगी, अंत में मुस्कुराहट भी आएगी। फिल्म कमाल की है। परिवार में टकराव को याद दिलाएगी। शर्मिला टैगोर के बेटे के रूप में किराएदार निभा रहा हूं। उन्होंने बताया कि इसके बाद सूप, बंदा,जोरम, डिस्पैच,एक-एक कर फ़िल्म आती रहेगी।