मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी को लेकर बिहार में सियासत शुरू हो गई है। एक ओर जहां मुस्लिम संगठन इस इफ्तार पार्टी का बायकॉट कर रहे हैं, वहीं राजद ने इसका स्वागत किया है। इधर भाजपा ने इसकी निंदा की है। राजद के ट्विटर पर लिखा है कि सात मुस्लिम संगठनों ने सीएम की इफ्तार पार्टी का बायकॉट किया है। यह स्वागत योग्य है। उन सात मुस्लिम संगठनों में इमारत शरिया, जमात इस्लामी, जमात अहले हदीस,खान्काह मोजीबिया, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमियत उलेमा ए हिंद और खान्काह रहमानी शामिल हैं, जिन्होंने यह फैसला पूरी दानिशमंदी से किया है।
नीतीश-चिराग की इफ्तार पार्टी में न जाएं मुसलमान.. जमीयत उलमा-ए-हिंद का ऐलान
राष्ट्रीय जनता दल ने आगे लिखा है कि वक्फ संशोधन बिल का समर्थन तो ताजा मामला है, यह वही नीतीश हैं जिन्होंने सीएए का भी समर्थन किया। तीन तलाक पर भी नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ थे। गोया मुसलमानों को जड़ से उखाड़ देने वाले तमाम काले कानून का इन्होंने समर्थन किया। अब मुसलमानों के उन नेताओं और बोर्डों में बैठे चेयरमैन का भी बॉयकॉट होना चाहिए, जो नीतीश कुमार की वफादारी में मुस्लिम समाज का बेड़ा गर्क करने पर आमादा हैं।

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने बयान देते हुए कहा केंद्र सरकार के पक्ष में जनता दल यूनाइटेड, लोजपा रामविलास और TDP खड़ी है जिसके कारण मुस्लिम के लिए असमंजस की स्थिति हो गई है। वक्फ संविधान संशोधन एक्ट है जो मुस्लिम के मजहबी रवायत, धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान में प्रस्तावना के खिलाफ है।

वहीं बिहार बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मुस्लिम संगठनों के द्वारा इफ्तार पार्टी बायकॉट करने का निर्णय निंदनीय है, मुस्लिम संगठनों ने बायकॉट का निर्णय किया तो प्रचार प्रसार राजद द्वारा किया जा रहा है। प्रभाकर मिश्रा ने कहा संशोधन बिल वक्फ बोर्ड की करोड़ों रुपए की संपत्ति को बचाने के लिए लिया गए है। इस संपत्ति पर अवैध कब्जा का कंप्लेन लंबे समय से आ रहा था। उन्होंने कहा कि राजद मुसलमानों को भड़काने का काम करती है।