अमूमन जाति की बात राजनीति में चुनाव के वक्त आती है। लेकिन बिहार में इन दिनों बिना चुनाव ही चुनावी बयार चालू है। दो विधानसभा सीटों के चुनाव का वक्त जरुर है। लेकिन उन दोनों क्षेत्रों की चर्चा से अधिक पुरानी खुंदक नए तरीके से पेश करने की होड़ मची हुई है। ललन सिंह और सुशील मोदी इसी कोशिश में हर दिन दिख रहे हैं। बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी थी तो सुशील मोदी ने अलग ही चुनौती दे दी।
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ललन को बताया सामंती
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को सामंती बताया है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के लिए ” डुप्लीकेट पिछड़ा” जैसे ओछे शब्द बोल कर जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने अतिपिछड़ों का अपमान किया है। यह बयान पार्टी की पिछड़ा-विरोधी सामंती मानसिकता का प्रमाण है। सुशील मोदी ने कहा कि पिछड़े वर्ग से पहली बार कोई ऐसा मजबूत प्रधानमंत्री देश को मिला है, जिसका लोहा दुनिया मान रही है। लेकिन महागठबंधन में बैठे सामंतवादियों और जेपी-लोहिया के फर्जी चेलों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
सुशील मोदी ने दी चुनौती
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि कि 2014 के संसदीय चुनाव में बिहार के अतिपिछड़ों ने दिखा दिया था कि वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैं। नीतीश कुमार के साथ नहीं। उस समय जद-यू केवल दो सीट जीत पाया था। सुशील मोदी ने कहा कि अगर पिछड़ों ने मजबूती से नरेंद्र मोदी का साथ नहीं दिया होता, तो भाजपा यूपी, गुजरात, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मणिपुर में दोबारा जनादेश नहीं प्राप्त करती।
पीएम मोदी की जाति पर टिप्पणी जलन-द्वेष
सुशील मोदी ने कहा कि 18 राज्यों में भाजपा की सरकार है। जबकि जदयू केवल बिहार तक सिमटा है। यहां भी इनकी हैसियत कभी अकेले सरकार बनाने की नहीं रही। जदयू खाली घड़े की तरह ज्यादा आवाज कर रहा है। सुशील मोदी ने कहा कि पहले अतिपिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिये बिना निकाय चुनाव कराने की नीतीश कुमार की जिद और अब पीएम मोदी की जाति पर जदयू प्रमुख की टिप्पणी से जलन-द्वेष की जो राजनीति की जा रही है, उसका परिणाम महागठबंधन को 2024 में जीरो पर आउट होकर भुगतना पड़ेगा।