बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग ने 13 मार्च को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि हर साल 15 मार्च को पूर्व विधायक स्व. पार्वती देवी की जयंती पर राजकीय समारोह आयोजित किया जाएगा। इस फैसले ने बिहार के राजनीतिक हलकों, खासकर बीजेपी में हलचल मचा दी थी। स्व. पार्वती देवी बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की मां थीं। हालांकि इस साल 15 मार्च को राजकीय समारोह आयोजित किया गया, लेकिन मंगलवार को सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की। सम्राट चौधरी के इस कदम से सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है।
बीजेपी में मची खलबली
सम्राट चौधरी की मां स्व. पार्वती देवी के नाम पर आयोजित राजकीय समारोह से बीजेपी के अंदर सबसे अधिक विरोध देखने को मिला। हालांकि, पार्टी के नेता खुलकर इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे, लेकिन कुछ नेता इस बात को लेकर चुपचाप असहमत थे कि बिहार सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेताओं की जयंती पर ऐसा कोई राजकीय समारोह नहीं होता। खासकर कैलाशपति मिश्रा, जो बीजेपी के बड़े नेता माने जाते थे, की जयंती पर कभी राजकीय समारोह नहीं हुआ, जबकि वे बिहार सरकार में वित्त मंत्री और राज्यपाल तक रहे थे।

इसके अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं स्व. ताराकांत झा और स्व. ठाकुर प्रसाद के नाम पर भी बिहार में कभी कोई राजकीय समारोह नहीं हुआ। इस पर कुछ नेताओं का आरोप था कि सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बनकर जिस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं, उससे पार्टी को नुकसान हो सकता है, और अगले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सम्राट चौधरी का पत्र
15 मार्च को स्व. पार्वती देवी की जयंती पर हुए राजकीय समारोह में सम्राट चौधरी खुद मौजूद थे, लेकिन अब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है। पत्र में सम्राट चौधरी ने लिखा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे आपके कुशल नेतृत्व में बिहार की एन.डी.ए. सरकार में दायित्व निर्वहन का अवसर मिला है। यह आपकी महान संवेदनशीलता है कि आपने मेरी पूजनीय माता स्व. पार्वती देवी जी के सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यों को पहचानते हुए उनकी जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मेरी पूजनीय माता के प्रति आपकी श्रद्धा, सम्मान और आपके विराट व्यक्तित्व का परिचायक है। अनुरोध है कि मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार, पटना के पत्रांक-272, दिनांक 13.03.2025 को वापस लेने की कृपा की जाय।”
क्या था 13 मार्च का आदेश?
13 मार्च को बिहार सरकार के कैबिनेट विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि हर साल 15 मार्च को स्व. पार्वती देवी की जयंती पर राजकीय समारोह आयोजित किया जाएगा। इस निर्णय के पीछे का कारण यह बताया गया था कि स्व. पार्वती देवी ने समाज सेवा और विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
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पार्वती देवी का राजनीतिक सफर
पार्वती देवी 1998 से 2000 तक तारापुर क्षेत्र से विधायक रही थीं। 1998 में, समता पार्टी के नेता शकुनी चौधरी खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। इसके बाद तारापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें समता पार्टी ने पार्वती देवी को अपना उम्मीदवार बनाया और वे जीत गईं। हालांकि, 2000 में जब बिहार विधानसभा चुनाव हुए, तो शकुनी चौधरी ने नीतीश कुमार की पार्टी का साथ छोड़कर लालू यादव की पार्टी आरजेडी को जॉइन किया और खुद तारापुर से चुनाव लड़ा, जबकि उनकी पत्नी पार्वती देवी ने चुनाव नहीं लड़ा।