सीवान की धरती तीन नौजवानों के खून से लाल हो गई। सीवान जिले में भगवानपुर थाना अंतर्गत कौड़िया वैश्य टोली गांव के मुन्ना सिंह, रोहित सिंह और कन्हैया सिंह की निर्मम हत्या ने न सिर्फ परिवारों को तबाह कर दिया, बल्कि पुलिस-प्रशासन की पूरी व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। जबकि टुनटुन सिंह जी का 16 वर्षीय पुत्र रौशन सिंह गंभीर रूप से घायल है और उसे गोरखपुर बेहतर इलाज के लिए भेजा गया है। सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से मिला। इस संबंध में शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिस कन्हैया ने दो दिन पहले ही धमकी की एफआईआर दर्ज कराई थी, उसे पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया। तीन लाशें और पुलिस का रवैया स्पष्ट गवाह है कि बिहार में कानून खुद ही कातिलों के साथ खड़ा है।
शैलेंद प्रताप सिंह ने बताया कि पूर्व मुखिया और युवा कांग्रेस के पूर्व राज्य सचिव अखिलेश सिंह का इकलौता बेटा था रोहित सिंह, जिसकी इस घटना में हत्या हुई है। दो साल से बिस्तर पर पड़े अखिलेश सिंह जी के लिए रोहित ही सहारा था। आज वह सहारा भी छिन गया। वहीं जिस कन्हैया सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया है, उसने महसूस किया था कि उसकी जान को खतरा है। उसने दो दिन पहले ही रिपोर्ट भी दर्ज करा दी। लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। अगर थाने वाले सुन लेते, तो आज कन्हैया जिंदा होता।
सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने साफ कहा कि यह लापरवाही नहीं, साजिश है। पुलिस और अपराधियों की सांठगांठ है। इसके साथ ही शैलेंद्र प्रताप सिंह ने सत्ताधारी नेताओं पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ये लोग आते हैं, बयानबाजी करते हैं और चले जाते हैं। असली मदद तो तब होगी जब ये प्रशासन पर दबाव डालकर कार्रवाई कराएं। इसके साथ ही शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सारण विकास मंच की बिहार सरकार से मांग है कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई कर हर दोषी को फांसी के फंदे पर लटकाए। साथ ही हर मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इसके साथ घायलों का इलाज कराया जाए और आश्रितों को नौकरी दी जाए।
मौके पर राजद के राज्य परिषद सदस्य बनियापुर रितेश सिंह, गोलू सिंह, नीरज सिंह, धीरज सिंह, मनोज सिंह और प्रमोद सिंह मौजूद रहे।