Sports News:सरफराज खान एक बहुत ही जाने-माने और दमदार भारतीय क्रिकेटर हैं। वे ज्यादातर टेस्ट क्रिकेट मैच में खेलते हैं। सरफराज खान राईट हैंड बैट्समैन हैं और समय-समय पर अपनी नॉर्मल स्पीड की लेग-ब्रेक बॉलिंग भी करते हैं। जैसे वे पिच पर शानदार प्रदर्शन करते हैं वैसे ही वे अपने शरीर का भी बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं। फिर भी उन्हें प्लेयिंग 11 में जगह नहीं मिल रही है। बता रहे हैं खेल प्रशंसक हेसामुद्दीन अंसारी..
सरफराज खान एक ऐसा नाम है जो पिछले कुछ वर्षों से सुर्खियों में रहा है। फरवरी 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में डेब्यू करने जा मौका मिला, जिसमें दोनों इनिंग में 62 रन और 68 रन की पारी खेली। इसके बाद न्यूजीलैंड के घरेलू टेस्ट सीरीज के पहले टेस्ट मैच में 150 रन बनाए और अगले दोनों टेस्ट मैच में असफल रहें। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी धरती पर 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में शामिल तो किए गए लेकिन एक भी टेस्ट मैच नहीं खिलाया गया। इसके बावजूद भी कि कुछ बल्लेबाज चोटिल हुए उनकी जगह जिस खिलाड़ी को शामिल किया गया उन्हें खिलाया लेकिन सरफराज को मौका नहीं दिया।
फिर IPL में किसी टीम ने नहीं खरीदा, सरफराज घर पर ही अपने पिता के संग बल्लेबाजी की प्रैक्टिस और अपनी फिटनेस पर काम करते रहे हैं और लगभग 17 किलो वजन कम किया. उनकी फिटनेस को देखते हुए अधिकांश लोग उनसे इंस्पायर होते हैं। हाल ही में सरफराज ने एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि सिर्फ 2 महीने में ही उन्होंने 17 किलो वजन कम कर लिया है।
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इंग्लैंड सीरीज से पूर्व विराट और रोहित ने संन्यास ले लिया। इसके बावजूद भी सरफराज का इंग्लैंड जाने वाली टेस्ट टीम में मौका नहीं दिया गया। कोई भी नया खिलाड़ी जब भारतीय सीनियर टीम में शामिल होता है तो इसका मतलब यही है कि वो खिलाड़ी बेहद टैलेंटेड है और घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अब उनकी प्रतिभा को निखारने और संवारने का काम कप्तान और कोच करता है।
किसी भी क्रिकेटर के सफल होने में उनके कोच और कप्तान का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है, वो खिलाड़ी के अंदर भरोसा पैदा करते हैं, कई बार असफल होने के बावजूद भी लगातार मौके देते हैं क्योंकि उन्हें इस खिलाड़ी की प्रतिभा पर भरोसा होता है। सचिन, सहवाग, युवराज, कैफ, रोहित, विराट से लेकर राहुल और गिल तक सभी खिलाड़ियों को शुरुआत में असफलता ही मिली। एक इनिंग अच्छी होती उसके बाद 10 से 15 मैचों तक कम स्कोर होते। लेकिन उन पर विश्वास जताकर मौके दिए गए और बाद में इसके साथ न्याय करके महान खिलाड़ियों में शुमार हुए।
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इसके उलट कई ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी सिर्फ इसलिए सफल नहीं हो सके क्योंकि उन पर कोच और कप्तान का विश्वास ही नहीं था, कारण कई हो सकते हैं। इसमें चयनकर्ता का रोल कम ही होता है क्योंकि टीम चयन में कोच और कप्तान की पसंद को बहुत अहमियत दिया जाता रहा है। सरफराज के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, अभी भारतीय क्रिकेट टीम के बिग बॉस गौतम गंभीर हैं, टीम का चयन हो या टॉप 11 का चयन हो उसमें सबसे बड़ा रोल गंभीर का ही होता है। शायद सरफराज के संग उनकी कुछ व्यक्तिगत खुन्नस रही है, शायद ऑस्ट्रेलिया दौरे से ही, किसी भी क्रिकेट प्रेमी के समझ से परे है सरफराज के टीम में चयन क्यों नहीं किया गया।
अभी भी सरफराज का प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड सभी खिलाड़ियों से बेहतर है
55 प्रथम श्रेणी मैच के 76 पारियां में 4685 रन 65.98 के औसत से
उच्चतम स्कोर: 301* (नाबाद) , 16 शतक और 15 अर्धशतक
रणजी ट्रॉफी में लगातार तीन सीजन में शानदार प्रदर्शन:
2019-20: 6 मैच, 928 रन, 154.66 औसत, 3 शतक, 2 अर्धशतक
2021-22: 6 मैच, 982 रन, 122.75 औसत, 4 शतक, 2 अर्धशतक
2022-23: 6 मैच, 556 रन, 92.66 औसत, 3 शतक, 1 अर्धशतक
2009 में हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में 12 साल की उम्र में 439 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर का 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। इस पारी में 56 चौके और 12 छक्के शामिल थे। 2024 में ईरानी ट्रॉफी में मुंबई के लिए 221 रन की दोहरी शतकीय पारी खेलकर इतिहास रचा, जो इस टूर्नामेंट में मुंबई के लिए पहला दोहरा शतक था। रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के खिलाफ 301* रन की तिहरी शतकीय पारी, जिसमें 30 चौके और 8 छक्के शामिल थे। 6 टेस्ट मैच के 9 पारियों में 41.22 की औसत से 371 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं।