पलामू: अनाथ बेसहारा बच्चियों के साथ बलात्कार का गंदा खेल उस जगह पर चल रहा था जहां उसे इसलिए रखा गया था ताकि वो दुनिया की बुरी नजरों से बची रह सके। परंतु जब रक्षक ही भक्षक बन जाए जब बचना नामुमकिन हो जाता है। ऐसा ही दुर्भाग्य लेकर वो बच्चिया इस बालिका गृह में आई जहां उसे शारिरिक और मानसिक यातनाओं का एक भयकंर वार सहना पड़ा। जी हां हम बात का रहें है पलामू बालिका गृह की जहां नाबालिक छोटी छोटी बच्चियों को अधिकारी और रसूखदार लोगों को खुश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस खेल में केवल बाहरी लोग शामिल नहीं थे बल्कि इस खेल में अंदर के लोग की संलिप्तता थी। इस बालिका गृह के संचालक और काउंसिलर दोनो ही बच्चियों से देह व्यापार कराने के मामले में दोषी पाए गएं हैं। पलामू बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद इसके संचालक रामप्रताप गुप्ता और महिला काउंसलर प्रियंका कुमारी को जेल भेज दिया गया है। इसके साथ ही प्रशासन ने बालिका गृह को सील कर यहां की बच्चियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। सीडब्ल्यूसी व जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पर कार्रवाई की गयी है। इस बीच सीडब्ल्यूसी जिला बीस सूत्री की उपाध्यक्ष विमला कुमारी ने बुधवार को सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि पलामू बालिका गृह में पिछले चार वर्ष से यौन शोषण का खेल चल रहा था। जांच के बाद कार्रवाई के लिए शिकायत की गयी थी, लेकिन पलामू के तत्कालीन डीडीसी व डीएसडब्लूओ ने कार्रवाई के नाम पर केवल कोरम पूरा किया था।
इस मामले में दोनों की भूमिका संदेहास्पद है। ऐसे में इन दोनों की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने बालिका गृह और कस्तूरबा विद्यालय की निगरानी के लिए स्पेशल कमेटी बनाने की मांग की। विमला ने पत्रकारों को बताया कि बालिका गृह के संबंध में कई शिकायतें मिली थीं। 16 मार्च 2023 को बालिका गृह की जांच की थी, जिसमें कई गड़बड़ियां पाई गईं थीं। लेकिन पलामू की तत्कालीन समाज कल्याण पदाधिकारी संध्या रानी ने अपने स्तर से जांच कर बालिका गृह को क्लीन चिट दे दी थी। तब तत्कालीन डीसी तक मामले को पहुंचाया गया। डीसी ने डीडीसी से जांच रिपोर्ट मांगी, लेकिन डीडीसी ने मामले को रफा-दफा कर दिया। जांच के क्रम में डीडीसी ने कुछ कागजात और सीसीटीवी का डीबीआर जब्त किया था। उसकी भी जांच की जाए। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ वहां की वार्डन को हटाने का निर्देश बालिका गृह को दिया गया था।
इस मामले में सनसनीखेज खुलासा करते हुए विमला ने बताया कि एक बच्ची जिसके दो और नाबालिग भाई-बहन थे, उसे गढ़वा से रेस्क्यू कर डालटनगंज के दिव्यांग स्कूल में रखा गया था। किसी कारण से स्कूल बंद होने के बाद दोनों बच्ची को बालिका गृह में रखा गया, जब बच्ची बालिग हो गयी तो उसे किसी अंजान व्यक्ति के हाथों शादी के नाम पर पैसे लेकर बेच दिया गया, जबकि कानूनी रूप से अनाथ बच्ची होम में रहते हुए अगर बालिग होती है, तो उसके कानूनन अभिभावक एसडीओ या डीडीसी होते हैं, लेकिन इसकी अनदेखी की गयी। इस मामले में बीस सूत्री उपाध्यक्ष विमला ने कई अन्य घटना क्रम पर भी सवाल उठाये और बालिका गृह को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने बताया कि पांच महीने पहले बालिका गृह से दो नाबालिग सगी बहनें फरार हो गयी थीं। दोनों को अघोर आश्रम रोड से बरामद किया गया था। बड़ी बहन के साथ बालिका गृह में दुराचार हुआ था। छोटी बहन इसकी प्रत्यक्षदर्शी थी। दो दिन बाद उसकी मौत हो गयी। मामले को रफा-दफा करके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिर्गी बता दिया गया। इसकी पुनः जांच होनी चाहिए. विमला कुमारी ने इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं विधायक कल्पना सोरेन से की है, ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो।