सीतामढ़ी जिले में एचआईवी (Sitamarhi HIV Cases) मामलों को लेकर बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गलत आंकड़ों के साथ एक भयावह तस्वीर पेश की जा रही थी। खबरों में दावा किया जा रहा था कि जिले में एचआईवी संक्रमितों की संख्या अचानक खतरनाक रूप से बढ़ गई है और रोज नए मरीजों की बाढ़ आ रही है। इन दावों ने लोगों में चिंता और अफवाहों का माहौल बना दिया था। लेकिन गुरुवार (11 दिसंबर 2025) को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने इन सभी रिपोर्ट्स को ‘तथ्यहीन’ और ‘भ्रम फैलाने वाला’ बताते हुए स्थिति साफ कर दी।
समिति ने कहा कि जो आंकड़े वायरल किए जा रहे हैं, वे किसी एक वर्ष या वर्तमान स्थिति का डेटा नहीं, बल्कि बीते 20 वर्षों का कुल रजिस्ट्रेशन है। समिति ने जानकारी दी कि सीतामढ़ी में ICTC यानी HIV जांच एवं परामर्श केंद्र वर्ष 2005 में शुरू हुआ था, जबकि ART केंद्र जहां मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी दी जाती है 1 दिसंबर 2012 से संचालित है। इन 20 वर्षों में कुल लगभग 6900 मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मरीज या तो स्थानांतरित हो चुके हैं, कई का निधन हो गया, जबकि कई अन्य शहरों में अपना इलाज जारी रखे हुए हैं।
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समिति ने कहा कि वर्तमान स्थिति को समझने के लिए आवश्यक है कि सक्रिय मरीजों की संख्या देखी जाए, न कि दशकों पुराने समेकित डेटा को। वास्तविकता यह है कि फिलहाल सीतामढ़ी के ART केंद्र पर 4,958 मरीज नियमित रूप से दवाएं ले रहे हैं। वर्ष 2025-26 में अब तक केवल 200 नए मरीज चिह्नित किए गए हैं, जो कि सामान्य वार्षिक औसत के अनुरूप है। यानी रिपोर्ट्स में फैलाया गया ‘तेजी से बढ़ते मामलों’ का दावा निराधार है।
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पतालों में दिखाई देने वाली रोज की भीड़ नए मरीजों की नहीं है, बल्कि पहले से पंजीकृत मरीजों की है, जो नियमित दवा लेने या परामर्श के लिए आते हैं। बच्चों में संक्रमण को लेकर भी स्पष्टिकरण दिया गया कि अब तक केवल 188 बच्चे संक्रमित पाए गए हैं और सभी का इलाज लगातार चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि एचआईवी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर गलत या अधूरी जानकारी फैलाने से समाज में डर, कलंक और अफवाह का माहौल बनता है, जो मरीजों और उनके परिवारों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए अधूरी-सूचना आधारित रिपोर्टों से बचने और आधिकारिक आंकड़ों पर भरोसा करने की अपील की गई है। विभाग ने कहा कि बिहार में एचआईवी नियंत्रण कार्यक्रम लगातार मजबूत हो रहा है और इलाज से लेकर जागरूकता तक सभी मोर्चों पर काम जारी है।




















